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स्वामी दयानन्द सरस्वती | Swami Dayanand Saraswati In Hindi

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स्वामी दयानन्द सरस्वती | Swami Dayanand Saraswati In Hindi

◆ जन्म – 12 फरवरी 1824
◆ जन्म स्थान – मोरानी, टंकारा (गुजरात)
◆ मूल नाम – मूल शंकर तिवारी
◆ पिता का नाम – दर्शन लालजी तिवारी
◆ माता का नाम – यशोदाबाई

◆ शिक्षा –
1848 – दंडी में – पूर्णानंद
1861 – मथुरा में – गिरिजानंद सरस्वती

◆ चर्चित नाम – स्वामी
◆ नवीन नाम – दयानंद
◆ गुरु – स्वामी विरजानन्द
◆ उपाधि – सरस्वती

◆ उपमा – भारत का मार्टिन लूथर, भारतीय राष्ट्रवाद के समर्थक, भारतीय लोकतंत्र के समर्थक, वैदिक धर्म के समर्थक, आधुनिक भारत का निर्माता

◆ प्रमुख संगठन –
(i) 1862 में गौ रक्षिणी सभा का गठन करके गौरक्षा आंदोलन चलाया था।
(ii) स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1863 में पाखंड खंडीनी पताका लहराई थी।

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स्वामी दयानन्द सरस्वती की प्रमुख रचनाएं

👉 सत्यार्थ प्रकाश – 1874 (संस्कृत में)
👉 पाखंड खंडन – 1866
👉 वेदमाल भाष्य – 1876
👉 ऋग्वेद भाष्य – 1877
👉 अद्वैतवादमत खंडन – 1873
👉 वल्लभाचार्य मत का खंडन – 1873
👉 अन्य प्रमुख रचनाएं – यजुर्वेद भाष्य, संस्कारविधि, पंचमहायज्ञविधि, गोकरूणानिधि, अष्टाध्यायीभाष्य, वेदांगप्रकाश, संस्कृत वाक्य प्रबोध, व्यवहारभानु

आर्य समाज Arya Samaj

स्थापना – 10 अप्रैल 1875
मुख्यालय –
मुम्बई (I) – 1875
दिल्ली (II) – 1875
लाहौर (III) – 1877

◆ स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा नामक स्थान पर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम मूलशंकर अंबाशंकर तिवारी था।

◆ स्वामी दयानन्द सरस्वती ने शुद्धि आन्दोलन प्रारम्भ किया था। (Swami Dayanand Saraswati In Hindi)

◆ स्वामी दयानन्द सरस्वती हिन्दी को राष्ट्रभाषा में स्वीकार करने वाले पहले व्यक्ति थे।

◆ स्वामी दयानन्द सरस्वती पहले व्यक्ति थे जिन्होंने स्वराज शब्द का प्रथम बार प्रयोग किया।

◆ स्वामी दयानन्द सरस्वती के प्रयासों से ही 1872 में लार्ड मेयो ने हिन्दू सिविल मैरिज कोड पारित किया था।

◆ स्वामी दयानन्द सरस्वती के प्रयासों से ही 1876 में लार्ड लिटन के द्वारा हिन्दू विवाह एवं उत्तराधिकार अधिनियम पारित किया गया।

◆ स्वामी दयानन्द सरस्वती की मृत्यु – नन्ही भक्तण के आदेश पर स्वामी जी के रसोईया जगतनाथ ने स्वामीजी को विषाक्त भोजन दिया था जिसके कारण 30 अक्टूबर 1883 दीपावली की रात अजमेर में स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की मृत्यु हो गयी।

◆ राजस्थान में शाहपुरा का शासक राव नाहरसिंह तथा उदयपुर शासक महाराव सज्जन सिंह स्वामी दयानन्द सरस्वती के अनुयायी थे।

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स्वामी दयानन्द सरस्वती से सम्बंधित प्रमुख कथन

★ स्वामीजी आधुनिक भारत में स्वराज के प्रथम सन्देशवाहक थे – बाल गंगाधर तिलक

★ भारत भारतीयों का यह नारा स्वामीजी ने ही दिया था। – एनी बेसेंट

★ निः सन्देह स्वामी दयानन्द सरस्वती मानवतावादी सन्त थे किन्तु इसके साथ ही वो एक देशभक्त और राजनीतिज्ञ भी थे – चतुपति कांत

वेलेन्टाइन सिरोल ने अपनी पुस्तक इण्डियन अर्नेस्ट में आर्य समाज को भारतीय अशान्ति का जनक कहा है।

★ लार्ड नार्थ ब्रुकन ने स्वामीजी को राजद्रोही साधु कहा है।

★ उन्होंने हिन्दू आत्मा को रूढ़िवाद तथा अंधविश्वास से उसी प्रकार मुक्ति दिलाई थी जिस प्रकार मार्टिन लूथर ने यूरोप की आत्मा को दिलाई थी – के.पी. जायसवाल

★ स्वामीजी आधुनिक भारत के निर्माता तथा धार्मिक एवं सामाजिक सुधारों के कर्मयोगी थे। – सुभाष चन्द्र बोस

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