Join WhatsApp GroupJoin Now
Join Telegram GroupJoin Now

राजस्थान में मृदा संसाधन | राजस्थान में मिट्टियां | Soils of Rajasthan

Soils of Rajasthan, राजस्थान में मृदा संसाधन, राजस्थान की मिट्टियां, Soils of Rajasthan Notes In hindi PDF, Rajasthan me Mrda Sansadhan

Table of Contents

Soils of Rajasthan, राजस्थान में मृदा संसाधन

● मृदा मानव जीवन का मूल आधार है अतः सभी सभ्यताओं एवं संस्कृतियों का विकास मिट्टी से हुआ है।
● मृदा :- भू-पृष्ठ पर असंगठित पदार्थों की वह ऊपरी परत जो कि मूल चट्टानों या वनस्पति के योग से निर्मित होती है मृदा कहलाती है।

● राजस्थान में मृदा (Soils of Rajasthan) का वर्गीकरण दो प्रकार से किया गया है –

(A). सामान्य वर्गीकरण

इसमे मृदा को रंग के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।

1.रेतीली मिट्टी
2.भूरी रेतीली मिट्टी / भूरी – पीली मिट्टी
3.लाल मिट्टी
4.लाल काली मिश्रित मिट्टी
5.लाल पीली मिट्टी
6.काली मिट्टी / मध्यम काली मिट्टी
7.जलोढ़ मिट्टी / दोमट / कछारी मिट्टी
8.भूरी दोमट मिट्टी
9.पर्वतीय मिट्टी
10.लवणीय मिट्टी

(B) वैज्ञानिक वर्गीकरण

1911 में अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा वैज्ञानिक आधार पर मृदा को 11 भागों में बांटा गया था जिसमें से राजस्थान में पांच प्रकार की मिट्टी पाई जाती है

1.वर्टिसोल (Vertisoil)
2.एरिडोसोल (Eridosoil)
3.अल्फ़ीसोल (Alfisoil)
4.एन्टीसोल (Antisoil)
5.इन्सेप्टीसोल (Inseptisoil)

राजस्थान में मृदा सामान्य वर्गीकरण के आधार पर (Based on General Classification of Soil in Rajasthan)

1. रेतीली मिट्टी / बलुई मिट्टी / मरुस्थली मिट्टी

● जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर व चरु जिले में इस मिट्टी का विस्तार है
● इस मिट्टी के कण मोटे होने के कारण इसमें जल धारण क्षमता करने की क्षमता सबसे कम पाई जाती है
● इस मिट्टी में मुख्य रूप से मोटे अनाज जैसे – ग्वार, मोठ, बाजरा आदि का उत्पादन होता है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन व कार्बनिक पदार्थों की कमी लेकिन कैल्शियम के तत्व की प्रधानता पाई जाती है

2. भूरी रेतीली मिट्टी / भूरी पीली मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से सीकर, चूरू, झुंझुनूं, नागौर, पाली, जालौर में विस्तृत है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन एवं कार्बनिक पदार्थों की कमी एवं फॉस्फेट के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है।
● इस मिट्टी में ज्वार, बाजरा, मक्का, ईसबगोल, जीरा, मेहंदी, सरसों, जौ, गेहूं का उत्पादन होता है।

3. लाल लोमी मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द, सिरोही जिलों में पाई जाती है।
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन, कैल्शियम, फॉस्फोरस तत्वों की कमी एवं लौह व पोटास के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है।
● इस मिट्टी में लौह तत्व अधिक होने के कारण इसका रंग गहरा लाल होता है।
● इस मिट्टी में मुख्य रूप से मक्का की खेती की जाती है

4. लाल – काली मिश्रित मिट्टी

● यह मिट्टी उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चितौड़गढ़ में पाई जाती है।
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन, कैल्शियम, फॉस्फोरस एवं फॉस्फेट के तत्वों की कमी पाई जाती है।
● इस मिट्टी के कण छोटे होते है इस कारण यह मिट्टी कपास, गन्ना, चावल आदि के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

5. लाल – पीली मिट्टी

● यह मिट्टी सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक जिलों में पाई जाती है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन, कैल्शियम के तत्वों की कमी एवं लौह ऑक्साइड के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है

6. काली मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ में पाई जाती है
● इस मिट्टी में कपास का अधिक उत्पादन होने के कारण इसे कपासी मिट्टी भी कहा जाता है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन व कैल्शियम के तत्वों की कमी एवं जैविक पदार्थ व पोटाश के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है
● इस मिट्टी में कपास, गन्ना, चावल आदि का अधिक उत्पादन होता है

7. जलोढ़ / दोमट / कच्छारी मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, जयपुर, दोसा / माही नदी बेसिन / चंबल नदी बेसिन / बनास नदी बेसिन में विस्तृत है
● इस मिट्टी में कैल्शियम व फास्फेट के तत्वों की कमी एवं नाइट्रोजन व पोटाश की अधिकता पाई जाती है
● इसी कारण राजस्थान में सबसे अधिक उपजाऊ मिट्टी जलोढ़ मिट्टी को माना जाता है
● इस मिट्टी में मुख्य रूप से सरसों, गेंहू, चावल, कपास, गन्ना आदि का उत्पादन होता है

8. भूरी दोमट मिट्टी

● राजस्थान में यह मिट्टी मुख्य रूप से बनास नदी बेसिन में पाई जाती है।

9. पर्वतीय मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से राजस्थान के अरावली पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती है

10. लवणीय मिट्टी

● राजस्थान में यह मिट्टी मुख्य रूप से गंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर, जालौर में पाई जाती है
● इस मिट्टी में लवणीय और क्षारीय तत्व अधिक होने के कारण यह अनुपजाऊ मिट्टी है
● इस मिट्टी को जिप्सम, हरि खाद, रॉक फॉस्फेट आदि के उपयोग से इस उपजाऊ बनाया जा सकता है।

◆ भूरी जलोढ़ मिट्टी :- श्री गंगानगर, हनुमानगढ़ में पाई जाती है

राजस्थान में मृदा वैज्ञानिक वर्गीकरण के आधार पर (Based on Scientific Classification Soil in Rajasthan)

1. एन्टीसोल (रेगिस्तानी)

● इसका विस्तार पश्चिमी राजस्थान में है।
● पीली – भूरी मिट्टी, भिन्न- भिन्न जलवायु दशाओं के निर्माण से इस मिट्टी का निर्माण हुआ।

2. एरिडोसोल (बालू मिट्टी)

● यह अर्द्ध शुष्क मरुस्थलीय जिलों सीकर, झुंझुनूं, चूरू, नागौर, पाली, जालौर में पाई जाती है।

3. वर्टीसोल (काली मिट्टी)

● इसमें अत्यधिक क्ले उपस्थित होने के कारण इसमें मटियारी मिट्टी की विशेषताएं पाई जाती है।
● इसका विस्तार झालावाड़, कोटा, बूंदी, बांरा जिलों में है। (Soils of Rajasthan)

4. इन्सेप्टी सोल्स (पथरीली मिट्टी)

● अर्द्ध शुष्क एवं उप आर्द्र प्रकार की जलवायु में अरावली के ढालो में इस मिट्टी का विस्तार है।
● यह मिट्टी सिरोही, पाली, राजसमन्द, उदयपुर, भीलवाड़ा, झालावाड़ में विस्तृत है।

5. अल्फ़ीसोल

● राज्य के पूर्वी जिलों जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली, टोंक, भीलवाड़ा, चितौरगढ़, बांसवाड़ा, राजसमन्द, उदयपुर, डूंगरपुर, बूंदी, कोटा, बांरा, झालावाड़ में विस्तार है।

मृदा अपरदन

मृदा अपरदन :- विभिन्न मानवीय व प्राकृतिक हस्तक्षेप से मृदा की ऊपरी परत का स्थानांतरण या नष्ट होना मृदा अपरदन कहलाता है।
मृदा अपरदन के प्रकार :- मृदा अपरदन के 5 प्रकार होते है।

1.अवनालिका अपरदन
2.उत्खात भूमि / बीहड़ भूमि
3.जल या चादरी अपरदन
4.परत अपरदन / वायु अपरदन
5.धरातलीय अपरदन

1. अवनालिका अपरदन

● चम्बल नदी बेसिन का ढ़ाल तीव्र एवं उसमे कठोर व कोमल चट्टानें एकान्तर क्रम से स्थित होने के कारण चम्बल नदी के द्वारा इस क्षेत्र में नाली नुमा जो गहरे – गहरे गड्ढे बनाये जाते है उसे अवनालिका अपरदन कहा जाता है।
● राजस्थान में सबसे अधिक अवनालिका अपरदन कोटा जिले में / चम्बल नदी में या राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में सबसे अधिक होता है।

2. उत्खात भूमि / बीहड़ भूमि

● राजस्थान में चम्बल बेसिन के अंतर्गत चम्बल नदी के द्वारा निर्मित ऊबड़ खाबड़ नुमा आकृति को उत्खात भूमि / बीहड़ भूमि कहा जाता है।
● राजस्थान में इस प्रकार का अपरदन सर्वाधिक सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर में देखने को मिलता है।

3. जल या चादरी अपरदन

● वर्षा के जल या नदी के द्वारा मिट्टी की ऊपरी परत को बहा देना जल या चादरी अपरदन कहलाता है।
● राजस्थान में सबसे अधिक चादरी अपरदन सिरोही व राजसमन्द जिले में देखने को मिलता है।

4. वायु अपरदन / परत अपरदन

● राजस्थान में तेज हवाओं के द्वारा मिट्टी की ऊपरी परत को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर देना परत या वायु अपरदन कहलाता है।
● परत अपरदन राजस्थान में सबसे अधिक पश्चिमी राजस्थान में देखने को मिलता है।

5. धरातलीय अपरदन

● धरातल पर तेज वायु, जल, नदियों के द्वारा धरातल की ऊपरी परत को स्थानांतरित कर देना धरातलीय अपरदन कहलाता है।
● यह राजस्थान में सभी क्षेत्रों में देखने को मिलता है।

मृदा अपरदन के कारण

1.राजस्थान में वनों की अत्यधिक कटाई के कारण व वनों के हो रहे विनाश से मृदा का अपरदन बढ़ रहा है
2.राजस्थान में अत्यधिक पशुचारण से मृदा अपरदन हो रहा है
3.राज्य में वर्षा से पहले जो तेज आंधियां चलती है उससे मृदा का अत्यधिक अपरदन होता है
4.राजस्थान के दक्षिणी एवं दक्षिणी पूर्वी भागों में आदिवासियों के द्वारा वालरा कृषि से वनों का विनाश हो रहा है जिससे मृदा अपरदन बढ़ रहा है
5.राजस्थान में कंक्रीट के जंगलों का विस्तार (बढ़ता हुआ शहरीकरण) मृदा अपरदन के लिए उत्तरदायी है

मृदा अपरदन के कुप्रभाव

1.निरन्तर सूखा
2.बोई गई फसलों में बीजों का अंकुरण न होना।
3.निरन्तर जल स्तर का नीचा होना।
4.नदी एवं नहरों के मार्ग अवरुद्ध होना।
5.भयंकर बाढ़ो का प्रकोप

मृदा अपरदन को रोकने के उपाय

1.वरक्षारोपण
2.अत्यधिक वनों के विनाश को रोकना / नियंत्रण
3.ढालों पर पट्टीदार खेती / कृषि करना
4.चरागाहों का विकास करना
5.खेतों में मेड़ बन्दी करना
6.नदी के मार्गों में बांधो का निर्माण करना
7.वैज्ञानिक कृषि को अपनाना

राजस्थान में मृदा की समस्या

1.निरन्तर कृषि के उत्पादन में कमी
2.खरपतवार की समस्या
3.मरुस्थल का प्रसार
4.जलाधिक्यबकी समस्या
5.सेम की समस्या

राजस्थान में मृदा संसाधन से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

1.पणों :- राजस्थान में वर्षा के जल, तालाब, दलदली क्षेत्रों का जल जब सुख जाता है तोबुस उपजाऊ मिट्टी को स्थानीय भाषा मे पणों कहा जाता है।
2.बाँझड़ :- राजस्थान में जिन स्थानों पर वर्षा की कमी के कारण खेतों को बिना जोते हुए छोड़ दिया जाता है उन स्थानों की अनुपजाऊ मिट्टी को स्थानीय भाषा मे बांझड़ / अनुपजाऊ / परती भूमि कहा जाता है।
3.नेहड़ :- राजस्थान के बाड़मेर, नागौर में कच्छ के रण का विस्तार होने के कारण वहां की मिट्टी लवणीय है जिसे स्थानीय भाषा नेहड़ कहा जाता है।
4.तैलीय पानी :- सिंचाई के लिए उपयोग किये जाने वाले पानी मे कार्बोनेट एवं हाइड्रोकार्बन आदि तत्वों की जब अधिकता हो जाती है तो उस पानी को तैलीया पानी कहा जाता है।
5.रेतीली मगरा :- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में मरुस्थल की मिट्टी को स्थानीय भाषा मे रेतीली मगरा के नाम से जाना जाता है।
6.धमासा :- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में पायी जाने वाली यह ऐसी वनस्पति है जो मरुस्थल के प्रसार को रोकती है।
7.सूड़ :- इसका शाब्दिक अर्थ खरपतवार को हटाना है। राजस्थान में खेतों में उगने वाले खरपतवार को दबाना या उसे उखाड़ कर जलाना स्थानीय भाषा मे सूड़ के नाम से जाना जाता है।

राजस्थान में कृषि प्रश्नोतर | Agriculture in Rajasthan Question
राजस्थान की स्थिति, विस्तार एवं भौतिक प्रदेश प्रश्नोतर
भारत की जलवायु वस्तुनिष्ठ प्रश्न | Climate of India Question
राजस्थान में खनिज संसाधन नोट्स | Khnij Sansadhan Notes
राजस्थान में सिंचाई परियोजना प्रश्नोतर
राजस्थान का भूगोल 1000+ प्रश्नोत्तर
महाद्वीप एवं महासागर नोट्स & प्रश्नोत्तर
राजस्थान का भूगोल हस्तलिखित नोट्स
राजस्थान जिला दर्शन
वायुमंडल हस्तलिखित नोट्स पीडीएफ
भारत का भूगोल हस्तलिखित क्लास नोट्स पीडीएफ
World Geography Notes PDF | विश्व का भूगोल हस्तलिखित क्लास नोट्स पीडीएफ
NCERT Geography Notes | NCERT Geography सार संग्रह
राजस्थान में ऊर्जा संसाधन | Rajasthan me Urja Sansadhan | Energy Resources
राजस्थान में मृदा संसाधन | राजस्थान में मिट्टियां | Soils of Rajasthan
सहकारिता की प्रमुख योजनाएं | Major Schemes of Cooperatives
राजस्थान में सहकारी संस्थाएं | Rajasthan Co-operative Society
डेयरी सहकारिता एवं डेयरी विकास | Dairy development in Rajasthan
राजस्थान में सहकारिता Rajasthan me Sahkarita Aandolan
राजस्थान के जिलेवार शुभंकर | Rajasthan ke District wise Vanya Jeev Shubhankar
वन एवं वन्य जीव अभयारण्य प्रश्न | Forest and Wildlife Sanctuary Questions
दक्षिण अमेरिका महाद्वीप | South America Continent
उत्तरी अमेरिका महाद्वीप | North America Continent
अफ्रीका महाद्वीप | Africa Continent Notes In Hindi
यूरोप महाद्वीप | Europe Continent Notes In Hindi
एशिया महाद्वीप | Asia Mahadeep | Continent of Asia
राजस्थान का सामान्य परिचय | Rajasthan ka Samanya Parichay
अक्षांश एवं देशांतरीय रेखाएं | Akshansh aur Deshantar
राजस्थान की जनगणना Census of Rajasthan
Transport in Rajasthan, राजस्थान में परिवहन
Rajasthan Industries Question | राजस्थान के उद्योग प्रश्नोतर
राजस्थान की नहरें Rajasthan ki Pramukh Nahar
राजस्थान की झीलें | Lakes of Rajasthan
राजस्थान की नदियाँ नोट्स | Rivers of Rajasthan
राजस्थान में वन एवं वन्य जीव अभयारण्य | Forest and Wildlife Sanctuaries in Rajasthan
राजस्थान के उद्योग | Rajasthan ke Udyog
Soils of Rajasthan, राजस्थान में मृदा संसाधन, राजस्थान की मिट्टियां, Soils of Rajasthan Notes In hindi PDF, Rajasthan me Mrda Sansadhan

Leave a Comment