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शब्द विचार | Shabad Vichar (Etymology) | हिन्दी व्याकरण शब्द विचार नोट्स

Shabad Vichar (शब्द विचार): हिन्दी व्याकरण की इस पोस्ट में शब्द विचार के नोट्स उपलब्ध करवाए गये है जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है शब्द विचार के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के लिए पोस्ट के अंत में लिंक दिया गया है जिस पर क्लिक करके शब्द विचार के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की पीडीएफ़ डाउनलोड कर सकते है| Shabad Vichar, Shabad Vichar Notes PDF, Hindi Grammar Notes pdf, Hindi Vyakaran Notes PDF, शब्द विचार नोट्स pdf, हिन्दी व्याकरण नोट्स pdf, Etymology,

शब्द विचार | Shabad Vichar :-

शब्द विचार की परिभाषा –

दो या दो से अधिक वर्णो से बने ऐसे समूह को ‘शब्द’ कहते है, जिसका कोई न कोई अर्थ अवश्य हो।
अथार्त वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहा जाता है।
जैसे- सन्तरा, कबूतर, टेलीफोन, आ, गाय, घर, हिमालय, कमल, रोटी, आदि।

इन शब्दों की रचना दो या दो से अधिक वर्णों के मेल से हुई है। वर्णों के ये मेल सार्थक है, जिनसे किसी अर्थ का बोध होता है। ‘घर’ में दो वर्णों का मेल है, जिसका अर्थ है मकान, जिसमें लोग रहते हैं। हर हालत में शब्द सार्थक होना चाहिए। व्याकरण में निरर्थक शब्दों के लिए स्थान नहीं है।

शब्दों की रचना (i) ध्वनि और (ii) अर्थ के मेल से होती है। एक या अधिक वर्णों से बनी स्वतन्त्र सार्थक ध्वनि को शब्द कहते है; जैसे- मैं, धीरे, परन्तु, लड़की इत्यादि। अतः शब्द मूलतः ध्वन्यात्मक होंगे या वर्णात्मक। किन्तु, व्याकरण में ध्वन्यात्मक शब्दों की अपेक्षा वर्णात्मक शब्दों का अधिक महत्त्व है। वर्णात्मक शब्दों में भी उन्हीं शब्दों का महत्त्व है, जो सार्थक हैं, जिनका अर्थ स्पष्ट और सुनिश्र्चित है। व्याकरण में निरर्थक शब्दों पर विचार नहीं होता।

शब्द और पद- यहाँ शब्द और पद का अंतर समझ लेना चाहिए। ध्वनियों के मेल से शब्द बनता है। जैसे- प+आ+न+ई= पानी। यही शब्द जब वाक्य में अर्थवाचक बनकर आये, तो वह पद कहलाता है।
जैसे- पुस्तक लाओ। इस वाक्य में दो पद है- एक नामपद ‘पुस्तक’ है और दूसरा क्रियापद ‘लाओ’ है।

शब्द के भेद :-

अर्थ, प्रयोग, उत्पत्ति, और व्युत्पत्ति की दृष्टि से शब्द के कई भेद है। इनका वर्णन निम्न प्रकार है-

(1) अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद

  1. साथर्क शब्द
  2. निरर्थक शब्द

(i) सार्थक शब्द:-

जिस वर्ण समूह का स्पष्ट रूप से कोई अर्थ निकले, उसे ‘सार्थक शब्द’ कहते है।
जैसे- कमल, खटमल, रोटी, सेव आदि।

(ii) निरर्थक :-

जिस वर्ण समूह का कोई अर्थ न निकले, उसे निरर्थक शब्द कहते है।
जैसे- राटी, विठा, चीं, वाना, वोती आदि।

सार्थक शब्दों के अर्थ होते है और निरर्थक शब्दों के अर्थ नहीं होते। जैसे- ‘पानी’ सार्थक शब्द है और ‘नीपा’ निरर्थक शब्द, क्योंकि इसका कोई अर्थ नहीं।

(2) प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद

  1. विकारी शब्द
  2. अविकारी शब्द

(i) विकारी शब्द :-

जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक के अनुसार परिवर्तन का विकार आता है, उन्हें विकारी शब्द कहते है।
जैसे- लिंग- लड़का पढता है।……. लड़की पढ़ती है।
वचन- लड़का पढता है।……..लड़के पढ़ते है।
कारक- लड़का पढता है।…….. लड़के को पढ़ने दो।

विकारी शब्द चार प्रकार के होते है-

(i) संज्ञा (noun)
(ii) सर्वनाम (pronoun)
(iii) विशेषण (adjective)
(iv) क्रिया (verb)

(ii) अविकारी शब्द :-

जिन शब्दों के रूप में कोई परिवर्तन नही होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते है।
जैसे- परन्तु, तथा, यदि, धीरे-धीरे, अधिक आदि।

अविकारी शब्द भी चार प्रकार के होते है-
(i) क्रिया-विशेषण (Adverb)
(ii) सम्बन्ध बोधक (Preposition)
(iii) समुच्चय बोधक(Conjunction) 
(iv) विस्मयादि बोधक(Interjection)

(3) उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद

(i) तत्सम शब्द
(ii ) तद्भव शब्द
(iii ) देशज शब्द
(iv) विदेशी शब्द।

(i) तत्सम शब्द :-

संस्कृत भाषा के वे शब्द जो हिन्दी में अपने वास्तविक रूप में प्रयुक्त होते है, उन्हें तत्सम शब्द कहते है। अथार्त वे शब्द जो संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा में बिना किसी बदलाव (मूलरूप में) के ले लिए गए हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं।

जैसे- कवि, माता, विद्या, नदी, फल, पुष्प, पुस्तक, पृथ्वी, क्षेत्र, कार्य, मृत्यु आदि।

तत्समहिंदी
आम्रआम
उष्ट्रऊॅंट
चंचुचोंच
त्वरिततुरंत
शलाकासलाई
चतुष्पदिकाचौकी
उद्वर्तनउबटन
खर्परखपरा, खप्पर
तिक्ततीता
गोमल ,गोमयगोबर
घोटकघोड़ा
पर्यकपलंग
भक्त्तभात
हरिद्राहल्दी, हरदी
सपत्रीसौत
सूचिसुई
सक्तुसत्तू
क्षीरखीर

(ii) तद्धव शब्द :-

ऐसे शब्द, जो संस्कृत और प्राकृत से विकृत होकर हिंदी में आये है, ‘तदभव’ कहलाते है। अथार्त संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द, जो बिगड़कर अपने रूप को बदलकर हिन्दी में मिल गये है, ‘तद्धव’ शब्द कहलाते है। जैसे-

संस्कृततद्धव
दुग्धदूध
हस्तहाथ
कुब्जकुबड़ा
कर्पूरकपूर
अंधकारअँधेरा
अक्षिआँख
अग्निआग
मयूरमोर
आश्चर्यअचरज
उच्चऊँचा
ज्येष्ठजेठ
कार्यकाम
क्षेत्रखेत
जिह्वाजीभ
कर्णकण
तृणतिनका
दंतदाँत
उच्चऊँचा
दिवसदिन
धैर्यधीरज
पंचपाँच
पक्षीपंछी
पत्रपत्ता
पुत्रबेटा
शतसौ
अश्रुआँसू
मिथ्याझूठ
मूढ़मूर्ख
मृत्युमौत
रात्रिरात
प्रस्तरपत्थर
शून्यसूना
श्रावणसावन
सत्यसच
स्वप्नसपना
स्वर्णसोना
Shabad Vichar

(iii) देशज शब्द :-

देश + ज अर्थात देश में जन्मा। जो शब्द देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित आम बोल-चाल की भाषा से हिंदी में आ गए हैं, वे देशज शब्द कहलाते हैं। अथार्त जो शब्द देश की विभिन्न भाषाओं से हिन्दी में अपना लिये गये है, उन्हें देशज शब्द कहते है।
जैसे – उटपटांग, ऊधम, खटपट, खिड़की, खुरपा, बाप, झण्डा, चिड़िया, कटरा, कटोरा, खिरकी, जूता, खिचड़ी, पगड़ी, लोटा, डिबिया, तेंदुआ, कटरा, अण्टा, ठेठ, ठुमरी, खखरा, चसक, फुनगी, डोंगा आदि।
» देशज वे शब्द है, जिनकी व्युत्पत्ति का पता नही चलता। ये अपने ही देश में बोलचाल से बने है, इसलिए इन्हे देशज कहते है।

(iv) विदेशी शब्द :-

विदेशी भाषाओं से हिंदी भाषा में आये शब्दों को ‘विदेशी’ शब्द’ कहते है। अथार्त जो शब्द विदेशी भाषाओं से हिन्दी में आ गये है, उन्हें विदेशी शब्द कहते है। जैसे-

अंग्रेजी –  अलमारी, अस्पताल, इंजीनियर, एजेेंट, क्लास, कॉपी, कार, टेलर, फ़ाइल, बुक, रेडियो, पेन, पेंसिल, स्टेशन, कार, स्कूल, कंप्यूटर, ट्रेन, सर्कस, ट्रक, टेलीफोन, टिकट, टेबुल इत्यादि।

फारसी – आराम, अखबार, अमरूद, आसमान, अफसोस, किनारा, गिरफ्तार, नमक, दुकान, हफ़्ता, जवान, दारोगा, आवारा, काश, बहादुर, जहर, मुफ़्त, जल्दी, खूबसूरत, बीमार, शादी, अनार, चश्मा, गिरह इत्यादि।

अरबी –असर, अक्ल, अदालत, तहसील, मुहावरा, किस्मत, खयाल, दुकान, औरत, जहाज, मतलब, तारीख, कीमत, अमीर, औरत, इज्जत, इलाज, वकील, किताब, कालीन, मालिक, गरीब, मदद इत्यादि।

तुर्की से – तोप, काबू, आका, बीबी, चेेेचक, लाश, चाकू, बेगम, बारूद, चाकू इत्यादि।

चीनी से –चाय, पटाखा,आदि।

पुर्तगाली से – कमीज, साबुन, अलमारी, बाल्टी, फालतू, फीता, तौलिया इत्यादि।

फ्रेंच – काजू, कारतूस, कूपन, मीनू, सूप इत्यादि।

डच – तुरुप, बम, ड्रिल इत्यादि।

जर्मनी – नात्सी, नाजीवाद, किंडर गार्टन इत्यादि।

यूनानी – एकेडमी, एटम, एटलस, टेलीफोन इत्यादि।

जापानी – रिक्शा, सायोनारा इत्यादि।

(4) रचना  के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

रचना के आधार पर शब्दों को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा गया है :

  1.  रूढ़ शब्द
  2.  यौगिक शब्द
  3.  योगरूढ़ शब्द

(i) रूढ़ शब्द :-

जो शब्द हमेशा किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो तथा जिनके खण्डों का कोई अर्थ न निकले, उन्हें ‘रूढ़ शब्द’ कहते है। अथार्त यदि शब्द में प्रयुक्त वर्णों को अलग – अलग कर देने पर उनका कोई अर्थ नही निकलता है, रूढ़ शब्द कहलाते है। जैसे – दूध, गाय, रोटी, पेड़, दीपक, पत्थर, देवता, आकाश, मेंढक, स्त्री।

(ii) यौगिक शब्द :-

यदि किसी शब्द में दो शब्द आपस मे मिले हुए होते है, तो वह यौगिक शब्द कहलाता है। अथार्त उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग सहित सन्धि तथा समास के समस्त उदाहरण यौगिक शब्द के अंतर्गत माने जाते है। जैसे – विद्यालय, प्रेमसागर, प्रतिदिन, दूधवाला, राजमाता।

(iii) योगरूढ़ शब्द :-

जब कोई यौगिक शब्द किसी एक विशेष अर्थ में रूढ़ हो जाता है तो उसे योगरूढ़ शब्द कहा जाता है। बहुव्रीहि समास के समस्त उदाहरण योगरूढ़ शब्द माने जाते है। जैसे – पीताम्बर, दशानन, हिमालय, जलज।

तत्सम एवं तद्भव शब्द :- 

कुछ महत्वपूर्ण तत्सम एवं तद्भव शब्द –

तत्सम शब्दतद्भव शब्द
अकार्यअकाज
अक्षरआखर
अक्षतअच्छत
अक्षिआँख
अग्रआगे
अगम्यअगम
अद्यआज
अनार्यअनाड़ी
अम्लिकाइमली
अवगुणऔगुण
अर्द्धआधा
अश्रुआँसू
आमलकआँवला
आश्विनआसोज
अग्निआज
अक्षयआखा
अज्ञानअजान
अन्धकारअँधेरा
अन्नअनाज
आम्रआम
आलस्यआलस
आश्रयआसरा
उष्ट्रऊँट
एलाइलायची
अंचलआँचल
कपाटकिवाड़
कर्पटकपड़ा
कदली केला
कांचनकंचन
कुक्कुरकुत्ता
कुष्ठकोढ़
कृषककिसान
गहनघना
घटघड़ा
घोटकघोड़ा
घृतघी
चर्मचाम
चर्मकारचमार
चन्द्रचांद
चैत्रचेत
छत्रछाता
ज्येष्ठजेठ
जंघाजाँघ
दधिदही
दन्तधावनदातुन
द्विवरदेवर
दुर्लभदूल्हा
धरणीधरती
नयननैन
नकुलनेवला
निम्बुकनीबू
पाषाणपाहन
पिपासाप्यास
महिषीभैंस
यजमानजजमान
रज्जुरस्सी
लवंगलौंग
क्षेत्रखेत
कर्णकान
कृष्णकान्ह
चणकचना
पत्रिकापाती
मधूकमहुआ
सुचिकासुई
सप्तशतीसतसई
भक्तभगत
भाद्रपदभादो
रुक्षरूखा
रक्षाराखी
श्रेष्ठीसेठ
साक्षीसाखी
श्रावणसावन
Shabad Vichar
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