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संत चरणदास जी, Sant Charandas Ji – चरणदासी सम्प्रदाय

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संत चरणदास जी, Sant Charandas Ji – चरणदासी सम्प्रदाय

◆ जन्म – डेहरा (अलवर) में 1703 ई. को
◆ बचपन का नाम – रणजीत
◆ इनके अनुयायी पीले रंग के कपड़े पहनते थे।
◆ मुख्य पीठ – दिल्ली
◆ इन्होंने अपने अनुयायियों को 42 उपदेश दिए।

◆ इन्होंने नादिर शाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी। (1739 ई. में ईरान राजा का भारत पर आक्रमण)
◆ इनके प्रमुख शिष्यों की संख्या 52 मानी जाती है।
◆ इन्होंने चरणदासी सम्प्रदाय की स्थापना की थी।
◆ चरणदासी सम्प्रदाय के लोग “सखी भाव” से श्रीकृष्ण भगवान की पूजा करते है।
◆ इस सम्प्रदाय में सगुण भक्ति तथा निर्गुण भक्ति दोनों का मिश्रण देखने को मिलता है।

◆ चरणदास जी ने अपने उपदेश मेवाती भाषा में दिए थे।
◆ 1782 ई. में जयपुर आगमन पर इनको सवाई प्रताप सिंह ने एक ग्राम दान में दिया था।
◆ 1782 ई. में दिल्ली में इनकी मृत्यु हुई थी। यहाँ इनकी समाधि पर बंसत पंचमी को मेला भरता है।
◆ इनकी शिष्या दयाबाई ने ‘दयाबोध’ व ‘विनय मलिका’ तथा सहजाबाई ने ‘सहज प्रकाश’ नामक पुस्तक की रचना की थी।

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