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राजस्थान की लोक देवियां | Rajasthan Lok Deviyan
★ करणीमाता :-
● मंदिर – देशनोक (बीकानेर)
● बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी
● चूहों वाली देवी के नाम से विख्यात
● करणी माता के मंदिर में सफेद चूहों को काबा कहते हैं।
● राव बीका ने बीकानेर राज्य की स्थापना करणी माता के आशीर्वाद से की थी।
★ जीण माता :-
● मंदिर – रेवासा (सीकर)
● इनके मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के समय राजा हट्टड़ द्वारा करवाया गया
● चौहान वंश की आराध्य देवी
● इन के मंदिर में अष्टभुजी प्रतिमा है जो एक अवसर पर अढ़ाई प्याले मदिरापान करती है।
● मेला – चैत्र तथा आश्विन माह के नवरात्रों में
★ कैला देवी :-
● मंदिर – त्रिकूट पर्वत (करौली)
● करौली के यदुवंश (यादव वंश) की कुलदेवी
● मेला – नवरात्रों में
● इनकी आराधना में लांगुरिया गीत गाए जाते हैं।
● कैला देवी के सामने ही बोहरा की छतरी है।
★ शीला देवी :-
● मंदिर – आमेर दुर्ग
● 16वीं सदी में मानसिंह प्रथम ने पूर्वी बंगाल की विजय के पश्चात इस देवी को आमेर के महलों में स्थापित किया।
● जयपुर के कछवाहा वंश की आराध्य / कुलदेवी
● इनकी प्रतिमा अष्टभुजी है
★ शीतला माता :-
● मंदिर – चाकसू (जयपुर)
● मंदिर का निर्माण माधोसिंह ने करवाया था।
● मेला- चैत्र कृष्णा अष्टमी को इस दिन बाद छोड़ा मनाते हैं
● जांटी (खेजड़ी) को शीतला माता मानकर पूजा जाता है।
● इनकी पूजा खंडित प्रतिमा के रूप में की जाती है।
● पुजारी – कुम्हार
● सवारी – गधा
● इसे चेचक की देवी व बच्चों की संरक्षिका देवी कहा जाता है।
★ ब्राह्मणी माता :-
● मंदिर – सोरसन (बांरा)
● विश्व का यह एकमात्र मंदिर है जहां देवी की पीठ का श्रंगार किया जाता है एवं देवी की पीठ की पूजा और दर्शन किए जाते हैं।
● मेला- माघ शुक्ल सप्तमी को
★ अंबिका माता :-
● मंदिर – जगत (उदयपुर)
● इसका निर्माण राजा अल्लट के काल में 18वीं शताब्दी में महामारु शैली में किया गया।
● जगत का मंदिर मेवाड़ का खजुराहो कहलाता है।
★ सुगाली माता :-
● स्थान – आऊवा (पाली)
● आऊवा के ठाकुर परिवार की कुलदेवी
● इस देवी की प्रतिमा के 54 हाथ तथा 10 सिर है।
● इस मूर्ति को 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों द्वारा अजमेर लाकर रखा गया वर्तमान में पाली संग्रहालय में है।
★ अन्नपूर्णा माता :-
● मंदिर – आमेर (यह शीला देवी का दूध से धवल मंदिर है)
● मंदिर का निर्माण सवाई मानसिंह द्वितीय ने करवाया था।
● शिला माता की यह मूर्ति पाल शैली में काले संगमरमर से निर्मित है जिसे महाराजा मानसिंह ने 1604 में बंगाल के राजा केदार से लाए थे।
● इसमें राज परिवार की ओर से पूजा करने के बाद ही जन सामान्य के लिए मंदिर के द्वार खुलते हैं।
★ जमवाय माता :-
● मंदिर – जमवारामगढ़ (जयपुर)
● ढूंढाड़ के कछवाहा राजवंश की कुलदेवी
★ आई माता :-
● मंदिर – बिलाड़ा (जोधपुर)
● सीरवी जाति के क्षत्रियों की कुलदेवी
● ये रामदेव जी की शिष्या थी
● इन्हें मानी देवी (नवदुर्गा) का अवतार माना जाता है।
● इनका मंदिर दुरगाह व थान बडेर कहलाता है।
● बिलाड़ा के मंदिर के दीपक की ज्योति से केसर टपकती है।
★ रानी सती :-
● मंदिर – झुंझुनू
● मूलनाम – नारायणी
● ये दादीजी के नाम से लोकप्रिय है।
● मेला – प्रतिवर्ष भाद्रपद अमावस्या को
★ आवड़ माता / स्वांगियाजी :-
● मंदिर – तेमड़ी पर्वत (जैसलमेर)
● जैसलमेर के भाटी राजवंश की कुलदेवी
● सुगन चिड़ी को माता का स्वरूप माना जाता है।
● जैसलमेर के राज चिन्ह में सबसे ऊपर सुगन चिड़ी देवी का प्रतीक है।
★ नकटी माता :-
● मंदिर – भवानीपुरा (जयपुर) प्रतिहार कालीन
★ जिलाणी माता :-
● मंदिर – बहरोड़ (अलवर)
★ पथवारी माता :-
● तीर्थयात्रा की कामना हेतु राजस्थान में पथवारी देवी की पूजा की जाती है।
● पथवारी देवी की स्थापना गांव के बाहर की जाती है।
● इन के चित्रों में नीचे काला – गोरा भैरू तथा ऊपर कावड़िया वीर गंगोज का कलश बनाया जाता है।
★ बड़ली माता :-
● मंदिर – छिंपों के अकोला (चित्तौड़गढ़)
● माता की ताती बांधने से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।
★ सच्चियाय माता :-
● मंदिर – ओसियां (जोधपुर)
● ओसवालों की कुलदेवी
● सच्चियाय माता की प्रतिमा महिषासुरमर्दिनि देवी की है।
★ लटियाला / लुटियाल माता :-
● लुटियाल माता का मंदिर फलोदी जोधपुर में है जिसके आगे खेजड़ी (शमी) का वृक्ष स्थित है। इसलिए इन्हें खेजड़बेरी राय भवानी कहते हैं।
● इनका अन्य मंदिर बीकानेर के नया शहर में स्थित है।
★ सकराय माता :-
● मंदिर – उदयपुरवाटी (झुंझुनू) के समीप
● अकाल पीड़ितों को बचाने के लिए इन्होंने फल, सब्जियां, कंदमूल उत्पन्न किए जिसके कारण यह शाकंभरी कहलाई।
◆ खंडेलवालों की कुलदेवी।
● मेला – चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में।
● इनका अन्य मंदिर सांभर में व दूसरा सहारनपुर उत्तर प्रदेश में है।
★ नारायणी माता :-
● मंदिर – बरवा की डूंगरी, राजगढ़ तहसील (अलवर)
● मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में प्रतिहार शैली में
● नाई जाति के लोग नारायणी माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं
● मीणा जाति इन्हें अपनी आराध्य देवी मानती है।
★ भदाणा माता :-
● मंदिर – भदाणा (कोटा)
● कोटा के शासकों की कुलदेवी
● भदाणा माता के मंदिर में मुठ (तांत्रिक प्रयोग से मारना) की झपट में आए व्यक्ति को मौत के मुंह से बचाया जाता है।
★ छींक माता :-
● मंदिर – जयपुर
● माघ सुदी सप्तमी को छींक माता की पूजा होती है।
★ घेवर माता :-
● मंदिर – राजसमंद की पाल
● घेवर माता मालवा की रहने वाली थी।
★ तनोट माता :-
● मंदिर – तनोट (जैसलमेर)
● सैनिकों की माता, थार की वैष्णो देवी के रूप में विख्यात
● इस देवी की पूजा बीएसएफ के जवान करते हैं।
★ दधिमती माता :-
● मंदिर – गोठ मांगलोद (नागौर)
● पुराणों में इसे कुशाक्षेत्र कहा गया है।
● दाधीच ब्राह्मणों की कुलदेवी
★ बाण माता :-
● मंदिर – केलवाड़ा (उदयपुर)
● सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी।
★ ज्वालामाता :-
● मंदिर – जोबनेर (जयपुर)
● खँगारोतो की कुलदेवी
★ त्रिपुरा सुंदरी / तुरताई माता
● मंदिर – तलवाड़ा (बाँसवाड़ा)
● काले पत्थर की अष्टादश भुजा की प्रतिमा
★ नागणेची माता :-
● मन्दिर – जोधपुर
● जोधपुर के राठौड़ो की कुल देवी
● थान – नीम के वृक्ष के नीचे
◆ अम्बा माता – उदयपुर
◆ अर्बुदा देवी – माउण्टआबू
◆ हिचकी माता – सनवाड़ ( सवाईमाधोपुर )
◆ राढासैण माता – देलवाड़ा ( उदयपुर )
◆ मंशा माता – चुरू
◆ घोटिया अम्बा – डूँगरपुर
◆ छींछ माता – बांसवाड़ा
◆ खोखरी माता – जोधपुर
◆ विरात्रा माता – विरात्रा ( वाड़मेर )
◆ मोरखाना माता – बीकानेर
◆ हर्षद माता – आभानेरी ( दौसा )
◆ भ्रमर माता – सादड़ी
◆ ऊँटा माता -जोधपुर
◆ तरताई माता – तलवाड़ा ( बांसवाड़ा )
◆ जिलाणी माता – बहरोड़ ( अलवर )
◆ चौधरा माता – भाद्राजन
◆ इन्दरमाता – इन्दरगढ़ ( बूंदी )
◆ हिंगलाज माता – लौद्रवा ( जैसलमेर )
◆ भाँवल माता – मेड़ता ( नागौर )
◆ जोगणिया माता – भीलवाड़ा
◆ घेवर माता – राजसमन्द
◆ महामाई माता – पाटन ( सीकर ) व रेनवाल ( जयपुर )
◆ आवरी माता – निकुंभ ( चित्तौड़गढ़ )
◆ चारभुजा माता – खमनौर ( हल्दीघाटी )
◆ बिरवड़ा – चित्तौड़गढ़ दुर्ग में
◆ भद्रकाली माता – अमरपुरा थेहड़ी ( हनुमानगढ़ )
◆ राजेश्वरी माता – भरतपुर
◆ आमजा माता – केलवाड़ा ( उदयपुर )
◆ चारणी देवियाँ – जैसलमेर ( सात देवियाँ )
◆ सच्चिया माता – नागौर
◆ परमेश्वरी माता – कोलायत ( बीकानेर )
◆ सुंडा देवी – सुंदा पर्वत ( भीनमाल )
◆ ब्याई माता – डिगों ( दौसा )
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