Rajasthan ke Lok Devta, राजस्थान के लोक देवता, Rajasthan Culture Notes PDF, Download Rajasthan ke Lok Devta Notes PDF in Hindi
राजस्थान के लोक देवता (Rajasthan ke Lok Devta) –
पंचपीर :- पाबूजी, हड़बूजी, रामदेवजी, गोगाजी, मांगलिया मेहाजी
★ रामदेवजी :-
● जन्म – भादवा सुदी 2 संवत् 1405 ई. (बाबे री बीज)
● जन्मस्थान – उंडूकासमेर गांव, बाड़मेर
● पिता – तवरवंशी अजमाल जी व माता – मेणादेवी
● समाधि – रुणीजा में भादवा सुदी एकादशी संवत 1515 (सन 1458) को
● गुरु – बालीनाथ जी
● इन्होंने जाति-पांति, छुआछूत, ऊंच-नीच का विरोध कर हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित की।
● मंदिर – रामदेवरा (रुणिचा)
● मेला – भाद्रपद शुक्ला द्वितीया से एकादशी तक
● रामदेव जी के मंदिरों को देवरा कहा जाता है जिन पर श्वेत या पांच रंगों की ध्वजा नेजा पहराई जाती है।
● रामदेव जी को रामसापीर भी कहते हैं।
● रामदेव जी के मेले का आकर्षण तेरहताली नृत्य है।
● छोटा रामदेवरा गुजरात में स्थित है।
● रामदेव जी ने कामड़ीया पंथ प्रारंभ किया था।
● रामदेव जी के पगलिये पूजे जाते हैं जिन्हें गांव में स्थित चबूतरों पर बने आलिया (ताख) में रखे जाते हैं।
● रामदेव जी एकमात्र ऐसे देवता है जो कवि थे (रचना – चौबिस बाणिया)
● जम्मा :- रामदेव जी के नाम पर भाद्रपद द्वितीया व एकादशी को किया जाने वाला रात्रि जागरण।
● रामदेव जी कृष्ण के अवतार माने जाते हैं।
● रामदेव जी के मेघवाल जाति के भक्तों को रिखिया कहते हैं।
● रामदेव जी की आस्था में भक्तों के द्वारा ब्यावले बाँचे जाते हैं।
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★ गोगाजी :-
● जन्म – ददरेवा चूरू विक्रम संवत 1003 (11 वीं सदी) में
● पिता – जेवर (जीवराज जी) चौहान
● माता – बाछल
● विवाह – कोलू मंड की राजकुमारी केमलदे के साथ।
● इन्हें सांपों के देवता, जाहर पीर भी कहते हैं।
● गोगा जी की सवारी नीली घोड़ी है।
● गोगा जी के जन्म स्थल ददरेवा को शीर्ष मेड़ी तथा समाधि स्थल गोगामेडी (नोहर, हनुमानगढ) को धुरमेडी कहते हैं। (Rajasthan ke Lok Devta)
● मेला – भाद्रपद कृष्णा नवमी (गोगा नवमी) को गोगामेडी में
● सांचौर (जालौर) में गोगाजी की ओल्डी नामक स्थान पर गोगाजी का मंदिर है।
● गोगाजी के थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते हैं जहां मूर्ति स्वरूप पत्थर पर सर्प की आकृति अंकित होती है।
● गोगाजी ने गौ रक्षा व मुस्लिम आक्रांता (महमूद गजनवी) से देश की रक्षार्थ अपने प्राण न्योछावरकिये।
● किसान हल जोतने से पहले गोगाजी के नाम की राखी गोगा राखड़ी हल और हाली दोनों को बांधते हैं।
● गोगामेडी की बनावट मकबरानुमा है और मुख्य दरवाजे पर बिस्मिल्लाह लिखा हुआ है।
★ पाबूजी :-
● जन्म – कोलूमंड (फलोदी, जोधपुर) में 13वीं शताब्दी में
● पिता – धांधल जी राठौड़, माता – कमलादे
● विवाह – फूलनदे (अमरकोट के सूरजमल सोढ़ा की पुत्री)
● घोड़ी – केसर कालमी
● मंदिर – कोलूमंड, जोधपुर
● मेला – चैत्र अमावस्या को
● प्रतीक चिह्न – भाला लिए अश्वारोही, बाईं ओर झुकी फाग
● ऊंट पालक रायका (रेबारी) इन्हें अपना आराध्य देव मानती है।
● इन्हें लक्ष्मण का अवतार माना जाता है।
● मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को ही जाता है।
● पाबूजी के गाथा गीत “पाबूजी के पावडे” माठ वाद्य के साथ नायक व रेबारी जाति द्वारा गाए जाते हैं।
● पाबूजी की फड़ नायक जाति के भोफों द्वारा रावणहथा वाद्ययंत्र के साथ बांची जाती है।
● हरमल एवं चांदा-डेमा पाबूजी के रक्षक थे।
★ तेजाजी :-
● जन्म – खड़नाल (नागौर) के नागवंशीय जाट परिवार में
● लाछा गुजरी की गायों को मेरो से छुड़ाते हुए प्राणोत्सर्ग।
● सर्प दंश का इलाज करने वाले भोपे को घोड़ला कहते हैं।
● मुख्य थान – खड़नाल (नागौर) सुरसुरा (अजमेर), ब्यावर, सेदरिया।
● मेला – भाद्रपद शुक्ला दशमी (तेजा दशमी) को
● तेजाजी की निर्वाण स्थली सुरसुरा (अजमेर) में तेजाजी की (जागिर्ण) निकाली जाती है।
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★ देवनारायणजी :-
● जन्म – 1243 ईस्वी
● पिता – सवाईभोज, माता – सेडु खटाणी
● यह गुर्जर जाति के प्रसिद्ध लोक देवता है।
● गुर्जर जाति के लोग इन्हें विष्णु का अवतार मानते हैं। इनकी फड़ गुर्जर भोपे बांचते है।
● पूजा स्थल – आसींद (भीलवाड़ा)
● समाधि – देवमाली (ब्यावर)
● अन्य स्थल – देवधाम, जोधपुरिया (टोंक), देव डूंगरी (चित्तौड़)
● मेला – भाद्रपद शुक्ला छठ व सप्तमी को (Rajasthan ke Lok Devta)
★ हड़बूजी :-
● भडेर (नागोर) के राजा मेहाजी सांखला के पुत्र व बाबा रामदेव जी के मौसेरे भाई थे।
● गुरु – बालीनाथ
● हड़बूजी शकुन शास्त्र के ज्ञाता थे।
● पूजा स्थल – बेंगटी (फलोदी)
● इनके मंदिर के पुजारी सांखला राजपूत होते हैं।
● इनके भक्त मंदिर में हड़बूजी की गाड़ी की पूजा करते हैं इसी गाड़ी में हड़बूजी पंगु गायों के लिए चारा लाते थे।
★ मेहाजी :-
● मंदिर – बापणी (जोधपुर)
● घोड़ा – किरड़ काबरा घोड़ा
● भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी को मेहाजी की अष्टमी मनाते हैं।
★ मल्लिनाथजी :-
● जन्म – 1358 में मारवाड़ में
● पिता – रावल सलखा, माता – जाणीदे
● मेला – चैत्र कृष्णा एकादशी से 15 दिन (तिलवाड़ा बाड़मेर में) (पशु मेला भरता है)
★ तल्लीनाथजी :-
● वास्तविक नाम – गागदेव राठौड़
● पिता – वीरमदेव
● गुरु – जालंधरनाथ
● जालौर के प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी लोक देवता
● प्रमुख स्थल – पंचमुखी पहाड़ पर पंचोटा गांव (जालौर)
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★ देव बाबा :-
● मंदिर – नगला जहाज (भरतपुर)
● मेला – भाद्रपद शुक्ल पंचमी व चैत्र शुक्ल पंचमी
● गुर्जरों व ग्वालों के पालनहार व कष्ट निवारक लोक देवता।
● इन्हें पशु चिकित्सा का अच्छा ज्ञान था।
★ मामा देव :-
● बरसात के देवता
● इन्हें प्रसन्न करने हेतु भैंसे की बलि दी जाती है।
● इनकी पत्थर की मूर्ति न होकर लकड़ी का एक विशिष्ट व कलात्मक तोरण होता है जिसे गांव के बाहर प्रतिष्ठित किया जाता है।
★ डुंगजी – जवाहरजी :-
● शेखावाटी क्षेत्र के लोक देवता
● यह धनी लोगों व अंग्रेजी खजाने को लूट कर उनका धन गरीबों व जरूरतमंदों में बांट दिया करते थे।
★ वीर कल्लाजी :-
● जन्म – मारवाड़ के सामियाना गांव में
● गुरु – योगी भैरवनाथ
● चार हाथों वाले देवता के रूप में प्रसिद्ध।
● इनकी छतरी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में भैंरव पोल पर बनी हुई है।
★ भूरिया बाबा (गौतमेश्वर) :-
● भूरिया बाबा शौर्य के प्रतीक हैं।
● मीणा जाति इन्हें अपना इष्ट देव मानती है।
● मीणा जाति के लोग कभी इनकी झूठी कसम नहीं खाते हैं।
★ बाबा झुंझार जी :-
● जन्म – इमलोहा गांव, नीमकाथाना (सीकर)
● स्यालोदड़ा गांव में रामनवमी को झुंझार जी का मेला लगता है।
● झुंझार जी का स्थान खेजड़ी के पेड़ के नीचे होता है।
★ वीर फताजी :-
● जन्म – साथू गांव
● मंदिर – साथू गांव (जालौर)
● मेला – भादवा सुदी नवमी को (Rajasthan ke Lok Devta)
Good mission
राजस्थान में लोकदेवता को काफी पूजा जाता है और इनसे जुड़े कई सवाल प्रतियोगी परीक्षा में आते है धन्यवाद आपने इसके बारे जानकारी दी