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शिक्षा मनोविज्ञान अधिगम नोट्स | Psychology Learning Notes

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Psychology Learning Notes :-

अधिगम का अर्थ (Meaning of Learning) :-

● सामान्य शब्दों में हम लोग सीखना को अधिगम मान लेते है लेकिन वास्तविक शब्दों में केवल सीखना अधिगम नही है बल्कि सीखे हुए ज्ञान का हमारे व्यवहार में स्थाई हो जाना अधिगम (Learning) कहलाता है।

एक व्यक्ति दैनिक जीवन मे विभिन्न कार्यों एवं परिस्थितियों से गुजरता है उनमें से कभी – कभी कुछ कार्य या परिस्थितियां ऐसे अनुभव दे जाती है जो व्यक्ति के व्यवहार में स्थाई हो जाते है ये स्थाई हो जाने वाले अनुभव ही अंतिम रूप से व्यवहार में स्थाई परिवर्तन लाते है जो अधिगम (Learning) कहलाता है।

अधिगम (Learning) की परिभाषाएं :-

सारटेन के अनुसार – “प्रतिदिन होने वाले नये – नये अनुभवों के कारण व्यवहार में आने वाला स्थाई परिवर्तन ही अधिगम (Learning) है।”

वुडवर्थ के अनुसार – “नवीन ज्ञान एवं प्रतिक्रियाओं का अर्जन ही अधिगम(Learning) है।”

स्किनर के अनुसार – “व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन ही अधिगम है।”

गिलफोर्ड के अनुसार – “व्यवहार के कारण व्यवहार में होने वाला स्थाई परिवर्तन ही अधिगम (Learning) है।”

गेट्स व अन्य के अनुसार – “अनुभव व प्रशिक्षण के द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में आने वाला स्थाई परिवर्तन अधिगम (Learning) कहलाता है।”

क्रो व क्रो के अनुसार – “नया ज्ञान आदत एवं अभिवर्तियों का अर्जन ही अधिगम है।”

अधिगम की विशेषताएं (Characteristics of Learning) :-

  • सीखना अधिगम है।
  • अधिगम व्यवहार परिवर्तन है।
  • अधिगम नवीन ज्ञान प्रतिक्रियाओं को ग्रहण करता है।
  • अधिगम आदतों के निर्माण की प्रक्रिया है।
  • अधिगम अनुभवों का संघटन है।
  • अधिगम कार्य व उत्पादन है।
  • अधिगम अनुकूलन है।
  • अधिगम विशेष परिस्थितियों की उपज है।
  • अन अधिगम भी अधिगम है।
  • अधिगम सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
  • अधिगम निरन्तर चलने वाली / सतत प्रक्रिया है।

अधिगम के सोपान (Steps of Learning) :-

  1. अभिप्रेरणा
  2. लक्ष्य/उद्देश्य
  3. तत्परता
  4. वातावरण
  5. अनुक्रिया
  6. समायोजन
  7. व्यवहार में परिवर्तन
  8. स्थायीकरण

सीखने के प्रकार (Types of Learning) :-

  1. ज्ञानात्मक अधिगम
  2. भावात्मक अधिगम
  3. क्रियात्मक अधिगम

1. ज्ञानात्मक अधिगम :- यह बौद्धिक विकास तथा ज्ञान अर्जित करने की क्रियाओं पर प्रयुक्त होता है। इसमें प्रत्यक्षात्मक, प्रत्यायत्मक व साहचर्यात्मक रूप में सीखा जाता है।

2. भावात्मक अधिगम :- इसका सम्बन्ध बच्चों की कोमल भावनाओ से है। भावनात्मक अधिगम का उद्देश्य है बच्चे किसी वस्तु को देखकर किसी आवाज को सुनकर आनन्द प्राप्त कर सके। इसमे महसूस करके सीखा जाता है।

3. क्रियात्मक अधिगम :- इसमे किसी कला में निपुणता प्राप्त की जाती है। जैसे – संगीत, नृत्य, मॉडल बनाना आदि।

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Learning):-

1. व्यक्तिगत कारक (Individual Factors) :-
(i) अभिप्रेरणा (Motivation) – अधिगम (Learning) को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला कारक
(ii) इच्छा शक्ति (Will Power)
(iii) शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
(iv) आयु व परिपक्वता
2. शिक्षक सम्बन्धी कारक :-
(i) विषयवस्तु में निपुणता
(ii) विषयवस्तु में प्रस्तुतिकरण
(iii) शिक्षक का व्यक्तित्व
3. वातावरण सम्बन्धी कारक :-
(i) परिवार का वातावरण
(ii) विद्यालय व कक्षा का वातावरण
(iii) सामाजिक व सांस्कृतिक वातावरण
(iv) मनोवैज्ञानिक वातावरण

अधिगम के नियम (Laws of Learning) :-

प्रतिपादक – थार्नडाइक, 1913 में
मुख्य नियम :-
(i) तत्परता का नियम (Law of Readiness) – इस नियम का प्रयोग बालक में रुचि उतपन्न करने, ध्यान केंद्रित करने और जिज्ञासा जाग्रत करने में किया जाता है। इसे वुडवर्थ ने मानसिक तैयारी का नियम कहा है।

(ii) अभ्यास का नियम (Law of Exercise) – किसी कार्य को बार-बार करने पर उसे सिख जाते है। इसका प्रयोग आदत निर्माण करने, लेखन व उच्चारण सुधार करने में किया जाता है।

(iii) परिणाम व प्रभाव का नियम (Law of Result & Effect) – किसी कार्य को करने के बाद उसका परिणाम अच्छा आता है तो उस कार्य को जल्दी सीख जाते है (Psychology Learning Notes)

अधिगम के गौण नियम :-
(i) बहु-प्रतिक्रिया का नियम ( Law of Multiple Response)
(ii) आंशिक क्रिया का नियम (Law of Partial Activity)
(iii) मनोवृति का नियम (Law of Disposition)
(iv) आत्मीकरण का नियम (Law of Assimilation)
(v) साहचर्य परिवर्तन का नियम (Law of Associative Shifting)

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अधिगम स्थानांतरण (Transfer of Learning) :-

● किसी एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान, आदत, दृष्टिकोण व अन्य क्रियाओं का किसी दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना। अथार्त किसी एक परिस्थिति में सीखे हुए ज्ञान, कौशल, आदतों का अन्य परिस्थिति में प्रयोग करना।

अधिगम स्थानांतरण के प्रकार (Types of Transfer of Learning) :- तीन प्रकार

1.सकारात्मक अधिगम स्थानांतरण (Positive Transfer) – एक परिस्थिति में सीखा गया ज्ञान किसी नवीन परिस्थिति को सीखने में सहायता करता हो। जैसे – साईकिल चलाने वाला व्यक्ति मोपेड चलाना जल्दी सीख जाता है।

2. नकारात्मक अधिगम स्थानांतरण (Negative Transfer) – एक परिस्थिति में सीखा गया ज्ञान किसी नवीन परिस्थिति को सीखने में बाधा उतपन्न करता हो। जैसे – नाव चलाने वाले व्यक्ति को साईकिल चलाने के लिए कहना।

3. शून्य अधिगम स्थानांतरण (Zero Transfer) :- एक परिस्थिति में सीखा गया ज्ञान किसी नवीन परिस्थिति को सीखने में न तो सहायता करता हो और न ही बाधा उतपन्न करता हो। जैसे – भूगोल का ज्ञान भौतिक विज्ञान की समस्या को नहीं सुलझा सकता।

अधिगम स्थानांतरण के सिद्धान्त (Theories of Transfer of Learning)  :-

1.मानसिक शक्तियों का सिद्धान्त – मानसिक शक्ति, स्मृति, कल्पना को प्रशिक्षित करके इसका प्रयोग एक विषय से दूसरे विषय मे किया जा सकता है।

2. समान तत्वों का सिद्धान्त – एक विषय का अध्ययन दूसरे विषय के अध्ययन में तभी सहायक सिद्ध होता है जब इन दोनों विषयों में कुछ तत्व समान हो। इसके प्रतिपादक थार्नडाइक है।

3. सामान्यीकरण का सिद्धान्त – सीखे गए ज्ञान का किसी दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन जड़ ने किया।

4. दो-तत्व सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्पियरमैन है। इसके अनुसार बुद्धि दो प्रकार की होती है सामान्य बुद्धि व विशिष्ट बुद्धि। इस सिद्धांत के अनुसार अधिगम स्थानांतरण सामान्य बुद्धि का होता है विशिष्ट बुद्धि का नही।
5. आदर्शों का सिद्धान्त – इसके प्रतिपादक बागले है।
6. पूर्णाकार सिद्धान्त – इस सिद्धान्त का प्रतिपादन डेस्टाल्टवादियो ने किया। यघ् सिद्धान्त सूझ को अधिक महत्व देते है।

अधिगम स्थानांतरण का शैक्षिक महत्व (Educational Implications) :-

1.अध्यापक को कक्षा-कक्ष में सामान्य सिद्धान्तों की अधिक जानकारी देनी चाहिए।
2. अध्यापक को पढ़ाते समय मुख्य बिंदुओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
3. छात्रों को नकारात्मक अंतरण के अवसर नही दिए जाने चाहिए।
4. छात्रों को अधिक से अधिक सामान्यीकरण कराया जाना चाहिए।
5. छात्रों को नियमित रूप से स्थानांतरण के अवसर प्रदान किये जाने चाहिए।

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अधिगम असमर्थता (Learning Disability) :-

1.डिसलेक्सिया – पठन विकृति, शब्दो को पहचान नही पाना।
2. डिसग्राफिया – लेखन विकृति
3. डिसकेल्कुलिया – गणना सबंधी विकृति
4. डिसफेजिया – गामक योग्यता सम्बन्धी विकृति, बच्चे का चल नही पाना।
5. एलेक्सिया – बच्चा सीख नही पाता है।
6. डिमेंशिया – स्मृति, चिंतन शक्ति का एकदम से कमजोर हो जाना। (Psychology Learning Notes)

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