Join WhatsApp GroupJoin Now
Join Telegram GroupJoin Now

विद्युत नोट्स पीडीएफ | Electricity Notes PDF

Electricity Notes PDF, विद्युत नोट्स पीडीएफ, Download Electricity Notes In Hindi PDF, डाउनलोड विद्युत नोट्स, Vidhyut Notes PDF

विद्युत नोट्स पीडीएफ | Electricity Notes PDF
विद्युत नोट्स पीडीएफ | Electricity Notes PDF

Electricity Notes PDF –


धारा :- विद्युत
परिपथ में किसो बिन्दु से एक सैकण्ड में गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या ही विद्युत धारा कहलाती है।                          I = Q/R
I = धारा,   Q = आवेश,     T = समय (सेकंड में)
★ आवेश प्रवाह की दर को धारा कहते है ।
धारा का मात्रक – कुलाम/समय = एम्पियर

 दिष्ट धारा:- वह धारा जिसका मान समय के साथ परिवर्तित न हो और साथ ही एक निश्चित दिशा में ही परिवर्तित होती हो दिष्ट धारा कहलाती है ।
सैल या बैटरी से दिष्ट धारा प्राप्त होती है ।
दिष्ट धारा / दिष्ट विद्युत वाहक बल का आवर्तकाल अनन्त होता है ।
दिष्ट धारा का मान चल कुण्डली धारामापी के सिद्धान्त पर उपकरण अमीटर से ज्ञात किया जाता है ।
प्रत्यावर्ती धारा :-
वह धारा जिसका मान तथा दिशा लगातार आवर्तरूप में परिवर्तित होती हो , प्रत्यावर्ती धारा कहलाती हैं ।
भारत में घरेलू उपयोग के लिए विद्युत सामान्य 220V तथा 50 हर्टज की ज्यावक्रीय प्रत्यावर्ति धारा के रूप में पूर्ति की जाती है ।
आवर्तकाल :-
प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल तथा प्रत्यावती धारा धारा 1 चक्र पूर्ण करने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है ।
ओम का नियम ( Ohm ‘ s Law } :-
 जब किसी चालक तार में धारा प्रवाहित की जाती है तो उस चालक तार के दोनों सिरों के मध्य विभवान्तर उत्पन्न होता है , उत्पन्न होने वाला वह विभवान्तर उस तार में

प्रवाहित की गई धारा के समानुपाती होता है ।
प्रतिरोध का मात्रक – ओम
विभवान्तर :- एकांक आवेश द्वारा चालक के एक सिर से दूसरे सिरे तक प्रवाहित होने में किया गया कार्य ही दोनों सिरों के मध्य विभवान्तर कहा जाता है ।
विभवान्तर का मात्रक :  वोल्ट ( V )
सेल ( Cell ) :-  सेलों द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता हैं ।
( 1 ) प्राथमिक सेल :- ये सेल पुन : आवेशित नहीं किये जा सकते हैं ।
 उदा:-  लेक्लांशी सेल , डेनियल सेल , वोल्टीय सेल , वूनमेंन सेल , बाइक्रोमेट सेल आदि
शुष्क रोल :- शुष्क सेल का बाह्य आवरण जस्ते ( zn ) का बना होता है ।
जस्ते की परत के अन्दर की और अमोनिय क्लोराइड, जिंक क्लोराइड व गोंद के मिश्रण की परत लगी होती है ।
सेल के अन्दर POP ( ग्लास्टर ऑफ पेरिस) , मैगनीज डाइ ऑक्साइड व कोयले का मिश्रण भरा हुआ होता है , इस मिश्रण में कार्बन की छड़ डुबी होती हैं ।
इन सेलों का विद्युत वाहक बल 1.5 Volt होता हैं ।
इनका उपयोग दीवार घड़ियों में किया जाता है ।
सेल की टॉपी पीतल की बनी होती हैं जो की धनाग्र का कार्य करती है , इसे एनोड करते हैं ।
जस्ते का पात्र ऋणाग्र ( – ) का कार्य करता है , इसे कैथौड़ कहते हैं ।
( 2 ) द्वितीयक सेल :-  ये सेल पुनः आवेशित किये जा सकते हैं । द्वितीयक सेल कहलाते है ।
उदा . :-  सीसा संचायक सेल , क्षारीय संचायक सेल, लोहा निकल सेल आदि ।
ये सेल पहले विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में तथा बाद में रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊजों में बदलते हैं ।
★ सीसा संचायक सेल :-  इन सेलों का आवरण एबोनाइट का बना होता है ।
इन सेलों की प्लेट लेड / सीसे की बनी होती है ।
लैंड की प्लेटो में लैड ऑक्साइड़ या लिथार्ज भरा हुआ होता है।
 लैड की प्लेटे गंधक का अम्ल/सल्फ्यूरिक अम्ल में डूबी होती है ।
इन खेलों का विद्युत वाहक बल 2.2 Volt होता है जो कि Discharge होते समय 1 . 8 Volt तक पहुँच जाता है ।
इन सेलों का उपयोग वाहनों की बैटरियों के रूप में किया । जाता है ।

विद्युत जनित्र ( Electric Generator ):- 
 यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है , विद्युत जनित्र ( डायनेमो ) कहलाता है ।
विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है ।
विद्युत जनित्र ( डायनेमो ) का आविष्कार – माइकल फैराडे ।
विद्युत जनित 2 प्रकार के :-  ( 1 ) प्रत्यावर्ती धाराजनित्र
( 2 ) दिष्ट धारा जनित्र

विद्युत जनित्र के भाग:- 
( 1 ) आर्मेचर – यह कच्चे लोहे के ढाँचे पर लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की अनेक फेरों वाली एक कुण्डली होती है ।
( 2 ) चुम्बकीय क्षेत्र ।
( 3 ) सर्पिवलय – दो होते हैं व धातु के बने होते हैं ।
( 4 ) कार्बन के बने होते हैं ।
दिष्ट धारा जनित्र व प्रत्यावर्ती धारा जनित्र की बनावट लगभग एक जैसी ही होती हैं , अन्तर केवल इतना है कि दिष्ट धारा जनित्र में सर्पिवलय के स्थान पर विभक्त वलय / दिक् परिवर्तक ( DC में ) प्रयुक्त किये जाते है ।

विद्युत संयोजन (Electric connection Arranginent ) :-
विद्युत उपकरणों के संयोजन के दो प्रकार से किया जाता है।
( 1 ) श्रेणी क्रम संयोजन
( 2 ) समान्तर क्रम संयोजन
( 1 ) श्रेणी क्रम संयोजन :- इस संयोजन में सभी चालक तारों में प्रवाहित धारा ( I ) का मान एक समान होता है परन्तु विभवांतर (V) अलग – अलग होता है ।
( 2 ) समान्तर क्रम संयोजन :-  इस संयोजन में सभी प्रतिरोधारो ( तारों ) के सिरों पर विभवान्तर समान होता है ,
परन्तु इनमें प्रवाहित धारा का मान अलग अलग होता है ।
घरों में विद्युत उपकरणों को समान्तर क्रम संयोजन में लगाया जाता है , इसमें एक परिपथ की खराबी का असर अन्य परिपथों पर नहीं पड़ता ।
विद्युत ऊर्जा को किलोवाट घण्टा ( KWH ) में मापा जाता है , जिसे साधारण बोलचाल में यूनिट कहते हैं ।
विद्युत व्यय की गणना :- 
 विद्युत खर्च की गणना का सूत्र = वाट×घण्टा×दिन/1000 
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण :-  
यह “फैराडै” द्वारा प्रदान किया गया ।
किसी कुण्डली एवं चुम्बक के मध्य जब सापेक्ष गति करवाई जाती है तो कुण्डली में विद्युत उत्पन्न होती है । इसी घटना को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण करते है ।
चुम्बकीय फ्लक्सः- 
किसी निश्चित क्षेत्रफल में गुजरने वाली चुकीय बल रेखाओं की संख्या चुम्बकीय फ्लक्स कहलाते हैं ।
फ्लक्स का मात्रक – वेबर
फ्लक्स का चिंह –  ¢( फाई ) होता है ।

Electricity Notes PDF, विद्युत नोट्स पीडीएफ

ट्रांसफार्मर (Tronsformor) :-
आविष्कार – माइल फैराड़े
( 1 ) यह ऐसी युवित होती है , जिसकी सहायता से प्रत्यावर्ती वोल्टता ( A . C ) को कम या ज्यादा किया जा सकता हैं । इसे दिष्ट धारा के लिए उपयोग नहीं किया जाता है ।
( 2 ) ट्रांसफार्मर पटलित क्रोड ( Laminaled core ) से बना होता है , इसमें नर्म लोहा होता है ।
ट्रांसफार्मर 2 प्रकार के:-
( a ) अपचायी ट्रांसफार्मर – ऐसे ट्रांसफार्मर जो उच्च वोल्टता को निम्न वोल्टता में बदल देते है ।
( b ) उच्चाई ट्रांसफार्मर – ऐसे ट्रांसफार्मर जो निम्न वोल्टता को उच्च वोल्टता में बदल देते हैं ।
विद्युत का दैनिक जीवन में उपयोग :- 
( 1 ) घरों में आने वाली धारा AC होती है ।
 ( 2 ) धरों में आने वाली धारा की वोल्टता 220 V होती है ।
( 3 ) घरों में आने वाली धारा की आवृति 50 हर्ट्ज ( चक्र प्रति सैकण्ड ) होती है ।
( 4 ) घरों में विद्युत संयोजन व्यवस्था समान्तर क्रम में होती हैं ( 5 ) रोड़ लाईटो का संयोजन श्रेणीक्रम में होता है ।
फ्यूज ( Fuse ):- 
 ( 1 ) फ्यूज एक पतला तार हैं जो कम गलनाक तथा उच्च प्रतिरोध वाले मिश्र धातु का बना होता है , फ्युज तार को श्रेणी क्रम में लगाते हैं ।
( 2 ) फ्यूज तार का गर्म होकर पिघलना परिपथ विच्छेदन कहते हैं ।
( 3 ) आजकल फ्युज तार की जगह MCB ( लघू परिपथ विच्छेदक / miniature Circul Braker ) का उपयोग किया जाता है , जो स्विच की भांति होता है ।
( 4 ) फ्यूज तार टिन + लैड ( Sn + Pb ) का बना होता है ।

ऊर्जा रूपांतरण करने वाली कुछ युक्तियां :-
युक्ति                  –                ऊर्जा का रूपांतरण
डायनेमो             –      यांत्रिक ऊर्जा को विद्यत ऊर्जा में
ट्यूब लाइट          –     विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में
विद्युत बल्ब       –    विद्युत ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मा ऊर्जा में
लाउडस्पीकर    –     विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
मोमबत्ती –  रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मा ऊर्जा में
माइक्रोफोन  –    ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
विद्युत सेल    –    रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
सितार       –       यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में

Download Maths & Reasoning Notes, Practice Sets PDF

Download Science Notes & Questions PDF

Download All Subject Notes PDF

Leave a Comment