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प्राचीन हिन्दू विवाह के प्रकार | विवाह संस्कार

प्राचीन हिन्दू विवाह के प्रकार | विवाह संस्कार: इस पोस्ट में प्राचीन काल में प्रचलित विवाह के प्रकार एवं विवाह संस्कार से संबंधित नोट्स एवं महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है जो सभी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है, Types of ancient Hindu marriages, vivah ke prakar, vivah ke prakar sociology,

प्राचीन हिन्दू विवाह के प्रकार | विवाह संस्कार

◆ गृहस्थ आश्रम में प्रवेश से पहले विवाह संस्कार संपन्न किया जाता है
◆ हमारे धर्म ग्रंथों में कुल आठ प्रकार के विवाह माने गए हैं – ब्रह्म विवाह, दैव विवाह, आर्ष विवाह, प्रजापत्य विवाह, आसूर विवाह, गांधर्व विवाह, राक्षस विवाह, पैशाच विवाह

◆ ब्रह्म विवाह :- जब किसी कन्या का पिता वेद शास्त्र पढ़ते हुए श्रेष्ठ चरित्र वाले वर को अपने घर बुलाकर वस्त्र आदि से आच्छादित करके एवं पूजा अर्चना करके अपनी कन्या का दान कर देता है तो वह ब्रह्म विवाह कहलाता है

◆ देव विवाह :- किसी यज्ञ में ऋषितव का कर्म करते हुए किसी ब्राह्मण बालक पर प्रसन्न होकर जब कन्या का पिता अपने पुत्री को अलंकृत करके दान कर देता है तो वह देव विवाह कहलाता है

◆ आर्ष विवाह :- जब किसी कन्या का पिता वर से एक गाय अथवा एक गाय व एक बेल अथवा दो गाय व दो बैल लेकर के विधिवत अपनी कन्या का दान कर देता है तो आर्ष विवाह कहलाता है

◆ प्रजापत्य विवाह :- जब किसी कन्या का पिता अपनी कन्या एवं वर को यह कह कर के कि तुम दोनों साथ साथ रहकर अपने धर्म का पालन करो एवं ऐसा कहने के बाद वर की अर्चना करके अपनी कन्या का दान कर देता है तो वह प्रजापत्य विवाह कहलाता है

◆ आसूर विवाह :- जब कोई वर कन्या को प्राप्त करने के लिए अपनी शक्ति के अनुसार इसके परिवार वालों को धन देता है एवं उसके बदले में पिता अपनी कन्या का दान कर देता है तो वह आसूर विवाह कहलाता है

◆ गांधर्व विवाह :- जब कोई कन्या एवं वर काम-भाव से पीड़ित होकर एक दूसरे की इच्छा से स्वयं विवाह कर लेते हैं तो वह गांधर्व विवाह कहलाता है

◆ राक्षस विवाह – जब वर अथवा वर पक्ष के लोगों के द्वारा कन्या पक्ष के लोगों को मारकर, काटकर अथवा डराकर रोती बिलखती हुई कन्या का उसके घर से बल्लपूर्वक अपहरण करके विवाह कर लिया जाता है तो वह राक्षस विवाह कहलाता है

◆ पैशाच विवाह :- जब कोई पुरुष किसी सोई हुई अथवा मद से व्याकुल अथवा नशे से व्याकुल कन्या के साथ विवाह संपन्न कर लेता है तो वह पापकर्म वाला एवं सबसे अधम श्रेणी वाला पैशाच विवाह कहलाता है

◆ सर्वश्रेष्ठ विवाह – ब्रह्म विवाह
◆ सबसे अधम विवाह – पैशाच विवाह
◆ ब्राह्मण वर्ण के लिए श्रेष्ठ विवाह – ब्रह्म विवाह, दैव विवाह, आर्ष विवाह, प्रजापत्य विवाह
◆ क्षत्रिय वर्ण के लिए श्रेष्ठ विवाह – राक्षस विवाह
◆ वैश्य वर्ण के लिए श्रेष्ठ विवाह – आसूर विवाह
◆ शूद्र के लिए श्रेष्ठ विवाह – आसूर विवाह

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