Mughal Empire in Hindi: भारतीय इतिहास की इस पोस्ट में मुगल साम्राज्य (Mughal Samrajya) का इतिहास एवं मुगल (mugal) शासकों की सूची उपलब्ध करवाई गई है जो सभी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है
मुगल वंश | Mughal Samrajya | Mughal Empire in Hindi
मुग़ल शासकों की सूची
मुगल वंश शासनकाल – 1526 से 1857
नाम | राज्यकाल | जन्म | मृत्यु |
---|---|---|---|
बाबर | 20 अप्रैल 1526 – 26 दिसम्बर 1530 | 14 फ़रवरी 1483 | 26 दिसंबर 1530 |
हुमायूँ | 26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540 | 6 मार्च 1508 | 27 जनवरी 1556 |
शेर शाह सूरी | 17 मई 1540 – 22 मई 1545 | 1486 | 22 मई 1545 |
इस्लाम शाह सूरी | 27 मई 1545 – 22 नवम्बर 1554 | 1507 | 22 नवम्बर 1554 |
हुमायूँ | 22 फ़रवरी 1555 – 27 जनवरी 1556 | 6 मार्च 1508 | 27 जनवरी 1556 |
अकबर-ए-आज़म | 11 फरवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605 | 15 अक्टूबर 1542 | 27 अक्टूबर 1605 |
जहांगीर | 3 नवंबर 1605 – 28 अक्टूबर 1627 | 31 अगस्त 1569 | 28 अक्टूबर 1627 |
शाह-जहाँ-ए-आज़म | 19 जनवरी 1628 – 31 जुलाई 1658 | 5 जनवरी 1592 | 22 जनवरी 1666 |
अलामगीर(औरंगज़ेब) | 31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707 | 4 नवम्बर 1618 | 3 मार्च 1707 |
बहादुर शाह | 19 जून 1707 – 27 फ़रवरी 1712 | 14 अक्टूबर 1643 | 27 फ़रवरी 1712 |
जहांदार शाह | 27 फ़रवरी 1712 – 10 जनवरी 1713 | 9 मई 1661 | 12 फ़रवरी 1713 |
फर्रुख्शियार | 11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719 | 20 अगस्त 1685 | 19 अप्रैल 1719 |
रफी उल-दर्जत | 28 फ़रवरी – 6 जून 1719 | 1 दिसंबर 1699 | 6 जून 1719 |
शाहजहां द्वितीय | 6 जून 1719 – 17 सितम्बर 1719 | जून 1696 | 18 सितम्बर 1719 |
मुहम्मद शाह | 27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748 | 7 अगस्त 1702 | 26 अप्रैल 1748 |
अहमद शाह बहादुर | 29 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754 | 23 दिसम्बर 1725 | 1 जनवरी 1775 |
आलमगीर द्वितीय | 3 जून 1754 – 29 नवम्बर 1758 | 6 जून 1699 | 29 नवम्बर 1759 |
शाहजहां तृतीय | 10 दिसम्बर 1759 – 10 अक्टूबर 1760 | 1711 | 1772 |
शाह आलम द्वितीय | 10 अक्टूबर 1760 – 19 नवम्बर 1806 | 25 जून 1728 | 19 नवम्बर 1806 |
अकबर शाह द्वितीय | 19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837 | 22 अप्रैल 1760 | 28 सितम्बर 1837 |
बहादुर शाह द्वितीय | 28 सितम्बर 1837 – 21 सितम्बर 1857 | 24 अक्टूबर 1775 | 7 नवम्बर 1862 |
बाबर – 1526 – 1530
✔️ यह मुलतः मध्य एशिया में स्थित फरगना का शासक था।
✔️ 1494 ई. में पिता उमर शेख मिर्जा की मृत्यु के पश्चात बाबर फरगना का राजा बना।
✔️ बाबर के रक्त में मध्य एशिया दो योद्धाओं चंगेज खाँ तथा तैमुर लंक का रक्त था।
✔️ बाबर ने निम्न 4 युद्ध भारत में लड़े –
1. पानीपत का युद्ध (1526 ई.) – इब्राहीम लोदी के साथ लड़ा इसी युद्ध में विजय होकर बाबर ने भारत में मुगल वंश की स्थापना की।
2. खानवा का युद्ध (1527 ई.) – मेवाड़ के सांगा के साथ लड़ा। सर्वप्रथम इसी युद्ध को बाबर ने जिहाद घोषित किया तथा गाजी की उपाधि धारण की।
3. चंदेरी का युद्ध (1528):- मेदिनी राय के साथ लड़ा था। इस युद्ध को भी बाबर ने जिहाद घोषित किया तथा गाजी की उपाधि धारण की।
4. घाघरा का युद्ध (1529):- महमुद लोदी तथा शेर खाँ (शेरशाह सुरी) को पराजित किया।
नोट:- इन चारों युद्धों में बाबर की विजय हुई।
✔️ बाबर ने अपनी मात्री भाषा तुर्की में अपनी आत्म कथा तुजुक-ए-बाबरी या बाबर नामा लिखी। यह पहला मुगल बादशाह था जिसने अपनी आत्मकथा लिखी। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ इसके अलावा मुबइ यान तथा दीवान के लेखक भी बाबर है।
✔️ बाबर ने काबुल, मक्का मदिना आदि स्थानो पर धन बटवाया था। इसलिए बाबर को कलन्दर कहा जाता है।
✔️ बाबर ने अयोध्या की बाबरी मस्जिद, पानीपत की काबुलीबाग मस्जिद तथा सम्भल की जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था।
✔️ 26 दिसम्बर, 1530 को बाबर की मृत्यु हुई सबसे पहले बाबर को आगरा (आरामबाग) में दफनाया गया लेकिन बाबर की इच्छा अनुसार बाद में उसे काबुल में दफनाया गया।
यह भी पढ़ें>> मराठा साम्राज्य
हुमांयु – (1530-1556)
✔️ चितौड़ की राजमाता कर्मावती ने गुजरात के मुस्लिम शासक बहादुरशाह पर चितौड़ पर आक्रमण करने के अवसर पर हुमांयु को राखी भेजकर अपनी सहायता के लिये आमंत्रित किया।
✔️ 1534 में बहादुर शाह चितौड़ को जीतने में सफल रहा। चितौड़ के किले का इस समय दूसरा साका हुआ।
✔️ 1539 में चौसा के युद्ध में शेरशाह सुरी (शेर खाँ) से पराजित होने के पश्चात जब हुमांयु युद्ध मैदान छोड़कर भाग रहा था तो उसी समय एक नदी को पार करने के नीजाम नामक किस्ती ने हुमांयु की सहायता की।
✔️ इसी उपकार के बदले हुमांयु ने नीजाम को एक दिन के लिए शासक बनाया था। इसी निजाम ने चमड़ें के सिक्के चलाए थे।
✔️ 1540 में शेरशाह सुरी ने कन्नोज या बिलग्राम के युद्ध में हुमांयु को पुनः पराजित किया तथा हुमायु को भारत से दखेलकर शेर खाँ ने दिल्ली व आगरा पर अपना अधिकार करके दिल्ली पर द्धितीय अफगान वंश की स्थापना की।
✔️ 1544 में मालदेव ने (जेता सुमेल) मालदेव तथा शेरशाह सुरी के बीच जेतारन (गिरी सुमेल) का युद्ध हुआ। जिसमें शेरशाह सुरी की विजय हुई। 1545 ई. में शेरशाह सुरी की मृृत्यु हो गई। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ शेरशाह सुरी को पराजित करके हुमायु 1555 में पुनः दिल्ली व आगरा पर अधिकार कर लिया तथा भारत में पुनः मुगलों की सत्ता स्थापित हुई।
✔️ हुमायु ने दिल्ली में दिपनाह नामक एक किले का निर्माण करवाया।
✔️ इसी किले में बने हुए पुस्तकालय की छत की सीढ़ियों से जब हुमायु उतर रहा था उस समय सीढ़ियों में पैर फीसलने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
✔️ लेनपूल ने कहा ‘‘हुमायु जीवन भर लड़खड़ाते रहा और लड़खड़ाते हुए ही इसकी मृत्यु हो गई।’’
✔️ बाबर की पुत्री गुलबदन बेगम ने हुमायु नामा लिखा है।
✔️ हुमायु का ज्योतिष शास्त्र में सबसे ज्यादा विश्वास था।
✔️ हुमांयु ऐसा मुगल बादशाह हुआ जिसे शेरशाह सुरी सेे पराजित होने के पश्चात 15 वर्षो का निर्वासित जीवन जीना पड़ा।
यह भी पढ़ें>> गुर्जर प्रतिहार वंश
अकबर – (1556 – 1605)
✔️ 1542 अमरकोट के राजा वीरशाह (वेरीशाह) के यहा जन्म हुआ था
✔️ अकबर के जन्म में हुमायु ने तस्तुरी बांटी
✔️ हुमायु ने अपनी मृत्यु से पहले अकबर को बेराम खान के संरक्षण में पंजाब का सुबेदार बनाया था।
✔️ हुमायु की मृत्यु के पश्चात् बेराम खान ने 1556 में पंजाब में कालानौर नामक स्थान पर अकबर का राज्याभिषेक किया।
✔️ हुमायु की मृत्यु के पश्चात 1556 में आदिलशाह शुर के वजीर हेमू ने दिल्ली व आगरा पर अपना अधिकार कर लिया।
✔️ मध्यकालीन मुस्लिम इतिहास ने एक मात्र हेमु ही ऐसा हिन्दू था जो दिल्ली की गद्दी पर बैठा था। इसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
✔️ 1556 से 1560 का समय बैराम खाँन का शासन माना जाता है।
✔️ बैरामखाँन को खान-खानखाना की उपाधि मिली थी। 1560 ई. में इसकी मृत्यु के पश्चात इसकी विधवा पत्नि सलमान बेगम से अकबर ने विवाह किया। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ बेरामखान के पुत्र का अकबर के संरक्षण में लालन पालन हुआ। बेराम खान का यही पुत्र आगे चलकर अब्दुल रहीम के नाम से जाना जाता है।
✔️ इसे अकबर ने खान-खाना का पद दिया था।
✔️ 1560 में अकबर पर उसकी दायमाँ माहम अनगा का प्रभाव स्थापित हुआ। 1560 से 62 या 64 तक के समय को अकबर के शासन काल में पर्दाशासन या पेटिकोट शासन कहते है।
✔️ अकबर के शासन काल में पहली विजय 1561 में मालवा की थी। मालवा के शासक तेज बहादुर को अकबर ने पराजित किया।
✔️ 1568 में स्वयं अकबर ने चितौड़ पर आक्रमण किया। इस समय चितौड़ का शासक उदयसिंह द्धितीय ने शासन किया।
✔️ उदयसिंह ने जयमल तथा पत्ता पर किले की रक्षा का भार सोंपकर जंगलों में चला गया।
✔️ 1568 में अकबर ने चितौड़ जीतकर इस किले में हजारों हिन्दूओं का कत्ले आम करवाया, यह अकबर के यस पर एक कलंक है।
✔️ 1572-73 में अकबर ने मुजफर शाह तृतीय को पराजित करके गुजरात पर विजय प्राप्त की। इसी समय अकबर ने पहली बार समुद्र को देखा तथा इसी विजय के उपलक्ष में फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा बनाया था।
✔️ 1580 के पश्चात मुगल साम्राज्य की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं में विद्रोह हुए थे। इसलिए अकबर ने 1585 ई. में अपनी राजधानी लाहौर को बनाया।
✔️ 1601 में अकबर ने असीरगढ़ की विजय की जो कि अकबर के जीवन की अन्तिम विजय थी।
✔️ अकबर पहला मुगल बादशाह था जिसने राजपूतों को उस पद प्रधान किये
✔️ अकबर ने दीन-ए-इलाही नामक एक नवीन धर्म चलाया। जो कि सुलह-ए-कुल की नीति पर आधारित था। इसी को देवीय एकेशवर वाद भी कहा गया।
यह भी पढ़ें>> मौर्य वंश नोट्स
✔️ प्रतिष्ठीत हिन्दूओं में एक मात्र बीरबल ने इस धर्म का स्वीकार किया था।
✔️ अकबर ने मजहर की घोषणा द्वारा अकबर ने धार्मिक विवाद या मतभेद पर अन्तिम निर्णय देने का अधिकार स्वयं अपने हाथों में ले लिया।
✔️ अकबर की वित्तमंत्री (राजस्व मंत्री) टोड़रमल था। अकबर के समय में इसी टोडरमल ने किसानों से राजस्व या लगान वसुल करने के लिए दहसाला बन्दोवस्त लागु किया था। यह 10 वर्षों के लिए बनाया था। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ अकबर ने मुगल साम्राज्य को सुबो (प्रान्त) में बाटा, सुबे का प्रमुख अधिकारों सुबेदार होता था।
✔️ मुगल साम्राज्य में मनसबदारी प्रथा का प्रचलन था। मनसब से ताप्तर्य पद या ओहदे से है। अकबर के समय में सबसे बड़ा मनसब 7000 का था। अकबर ने एक मात्र मानसिंह को हिन्दूओं में 7000 का मनसब दिया था।
✔️ अकबर पहला मुगल बादशाह था। जिसने राजपूतों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाए।
✔️ आमेर के शासक भारमल ने अकबर के साथ अपनी पुत्री हरकु बाई का विवाह किया।
✔️ हरकु बाई पहली राजपुत कुमारी थी जिसे मुगल हरम में विवाह किया था।
✔️ अकबर को नगाड़ा बजाने का सोक था।
✔️ हरकु बाई को मरीयम उज्जवानी भी कहा गया। सलीम यानी जहांगीर इसी का पुत्र था।
✔️ अकबर ने विभिन्न भाषाओं के ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद करने के लिए एक अनुवाद विभाग की स्थापना की।
✔️ अकबर ने चित्रणशाला की भी स्थापना की इसके अलावा संगीत को भी संरक्षण दिया।
✔️ अकबर ने आगरा का लालकिला तथा इलाहाबाद तथा लाहौर के किले बनवाए।
✔️ अकबर ने आगरा जिलेे के फतेहपुर सीकरी नामक एक नवीन शहर बसाकर इसे अपनी राजधानी बनाया था।
✔️ अकबर शेख सलीम चीस्ती का अनुयायी था। इसकी दरगाह फतेहपुर सीकरी में थी।
✔️ अकबर का मकबरा आगरा के सिकन्दरा में है।
✔️ भरतपुर के जाट सरदार राजा राय ने इस मकबरे को लुटा तथा अकबर की हड्ड़ियों को जला दिया था।
यह भी पढ़ें>> दक्षिण भारत के राजवंश
जहांगीर – (165-1627)
✔️ जहांगीर को अकबर शेख बाबा कहता था।
✔️ जहांगीर के आदेश पर उसके पुत्र खुर्रम ने मेवाड़ पर आक्रमण किया था। इस समय मेवाड़ के शासक अमरसिंह प्रथम ने 1615 में मुगलों के साथ सन्धि की। जिसके अन्तर्गत अमरसिंह ने मुगलों की अधिनता स्वीकार की।
✔️ जहांगीर के ही समय में खुर्रम ने अहमदनगर, बीजापुर और गोलकुण्डा के मुस्लिम राज्यों को मुगलों की आधिनता स्वीकार करवाई।
✔️ 1620 में जहांगीर के ही समय में खुर्रम (शाहजहां) ने कांगड़ा पर विजय प्राप्त की थी। जहांगीर ने खुर्रम को इन सेवाओ के बदले में शाहजहां की उपाधि प्रधान की। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ महरूनीसा गयासबेग अस्मत बेगम की पुत्री थी।
✔️ प्रारम्भ में महरूनीसा का विवाह अली कुली खान से हुआ था। जिसे जहांगीर ने शेरे अफगान की उपाधि प्रधान की थी।
✔️ शेरे अफगान की मृत्यु के पश्चात 1611 में निरोज के त्यौहार पर जहांगीर ने महरूनीसा से विवाह किया।
✔️ जहांगीर ने महरूनीसा को पहले नूर-ए-महल की उपाधि दी थी। बाद में नुरजहां की उपाधि प्रदान की थी।
✔️ राजकीय आदेशों तथा फरमानों पर जहांगीर के साथ-साथ नुरजहां की भी मोहर लगती थी।
✔️ नूरजहां ने प्रशासन तथा राजनीति में अपने प्रभाव को बनायें रखने के लिए एक गुट बनाया जिसे नुरजहां गुट या जुन्टा कहा जाता था। इस गुट में स्वयं नुरजहां पिता गयासबेग माता अस्मत बेगम भाई आसफ खाँ तथा शहजादा खुरम सम्मलित था।
✔️ जहांगीर के समय में 1623 में खुरर्म ने विद्रोह किया था। जिसे 1626 में महावत खाँ ने दबाया था।
✔️ तत्पश्चात 1626 में महावत खान ने विद्रोह किया। महावत खान ने जहांगीर को भी बन्दी बनाया था, बाद मे नुरजहां ने महावत खान का विद्रोह दबाया तथा जहांगीर को स्वतन्त्र करवाया था।
✔️ 1627 ई. में कश्मीर से लाहौर आते समय भीमवार नामक स्थान पर जहांगीर की मृत्यु हो गई थी।
✔️ जहांगीर को लाहौर में दफनाया गया। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ नुरजहां ने वस्त्र तथा आभूषणों को पहनने की नई-नई विधियों को खोजा था।
✔️ नुरजहां की माता अस्मत बेगम ने गुलाब से ईत्र बनाने की विधि को खोजा था।
✔️ जहांगीर ने नुरजहां के पिता गयासबेग को एत्माद्दौला की उपाधि दी थी।
✔️ नुरजहां ने अपने पिता का मकबरा आगरा में बनवाया। मुगल काल में यह मकबरा संगमरमर से बनी हुई पहली इमारत मानी जाती है।
✔️ जहांगीर एक मात्र मुगल बादशाह है। जिसका चित्र इसके सिक्कों पर अंकित है। इसे हाथ में शराब का प्याला लिए हुए दिखाया गया है।
✔️ जहांगीर ने ही बाबर के समान अपनी आत्म कथा लिखी थी। जिसका नाम तुजुक-ए-जहांगीरी या जहांगीर नामा लिखी है।
✔️ जहांगीर के समय में चित्रकला का सर्वाधिक विकास हुआ। इसका काल चित्रकला के लिए स्वर्ण काल था।
यह भी पढ़ें>> चौहान राजवंश
शाहजहाँ – (1628-1658)
✔️ जोधपुर के शासक मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री जगत गोसाई का पुत्र था।
✔️ इसका मूल नाम खुर्रम था।
✔️ शाहजहां का नुरजहां के भाई आसफखान की पुत्री अर्जुमंद बानु बेगम से विवाह हुआ। यही इतिहास में मुमताज महल के नाम से जानी लगी।
✔️ 1631 में इसकी मृत्यु हो गई थी।
✔️ शाहजहां ने मध्य एशिया को जितने का प्रयास किया जो कि असफल रहा।
✔️ शाहजहां के जीवित रहते हुए उसके चार पुत्रों दारा, सुजा, औरंगजेब व मुराद के मध्य राज्य पर अधिकार करने के लिए उत्तराधिकार का युद्ध हुआ था।
✔️ इस युद्ध में अन्तिम सफलता औरंगजेब को मिली थी।
✔️ 1658 ई. में औरंगजेब ने शाहजहां को आगरा के किले में बन्दी बनाकर अपना पहला राज्याभिषेक कराया था। तत्पश्चात् 1659 में दारा को अन्तिम रूप से पराजित करके औरंगजेब ने दूसरी बार अपना राज्याभिषेक करवाया था।
✔️ इस प्रकार से औरंगजेब ऐसा मुगल बादशाह था जिसका राज्याभिषेक दो बार हुआ था।
✔️ स्थापत्यकला की दृष्टी से शाहजहां के काल को स्वर्णकाल कहा जाता है।
✔️ विद्वानों के मतानुसार मुगल शासकों में शाहजहां का शासनकाल स्वर्णकाल था। आगरा में ताजमहल बनवाया जिसका शील्पी इसा खान था। इसके अलावा शाहजहां के समय में आगरा के किले में मोति मस्जिद दीवान-ए-आम, दिवान-ए-खास तथा मुरसम बुर्ज भी शाहजहां के समय में बनवाए गए। आगरा की मस्जिद शाहजहां के समय में उसकी पुत्री ने बनवाई थी।
✔️ दिल्ली का लालकिला शाहजहां ने बनवाया था। इसके अलावा दिल्ली की जामा मस्जिद शाहजहां के समय में इसके वजीर सादूल्ला खाँ ने बनवाई थी।
यह भी पढ़ें>> गुप्तकाल
✔️ शाहजहां के समय में बादल खान द्वारा तख़्त-ए-ताऊस या मसूर सिहांसन का निर्माण करवाया गया तथा इसमें कोहिनूर हीरे को लगवाया
✔️ कोहिनूर हीरा गोलकुण्डा की खानों से निकला था। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ शाहजहां ने तानसेन के दामाद लाल खा गुण समुद्र को सरंक्षण दिया था।
✔️ शाहजहां की मृत्यु 1666 ई. में हुई शाहजहां को भी ताजमहल में मुमताज महल की कब्र के पास दफनाया गया।
✔️ अहमद नगर की 1636 में शाहजहां के समय में जीतकर मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया था। जिनको बीजापुर को 1686 में और गोलकुण्डा को 1687 में औरंगजेब के समय में जीतकर मुगल साम्राज्य में मिलाया गया।
यह भी पढ़ें>> राठौड़ राजवंश
औरंगजेब – (1658 – 1707)
✔️ मुगल बादशाह ने सबसे लम्बा शासनकाल औरंगजेब का रहा तथा दूसरे स्थान पर अकबर का रहा।
✔️ औरंगजेब ने आलमगीर प्रथम को उपाधि धारण की।
✔️ औरंगजेब को जिन्दा पीर और शाह दरवेश भी कहा जाता है।
✔️ यह एक ऐसा मुगल शासक दो बार राजयाभिषेक
✔️औरंगजेब के समय सबसे पहला विद्रोह जाटो का हुआ था। इस विद्रोह का नेतृत्व गोकुल जाट ने किया।
✔️ दूसरा विद्रोह सतनामीयों का हुआ इन दोनों विद्रोह को दबा दिया गया।
✔️ जोधपुर के शासक जशवंत सिंह की 1678 अफगानिस्तान के निकट जमरूब नामक स्थान पर मृत्यु हो गई।
✔️ जशवंत सिंह के मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा था आज कुफ्र (धर्म की दीवार) का दरवाजा टुट गया है।
✔️ जशवंत सिंह के पुत्र अजीत सिंह को औरंगजेब ने जोधपुर का शासक मानने से मना कर दिया। और शर्त रखी की अजीत सिंह यदि मुस्लमान बन जाए तभी इसे जोधपुर का राज्य दिया जाएगा। इसी बात को मुदा बनाकर जोधपुर के राठौड़ों ने औरंगजेब के विरूद्ध संघर्ष प्रारम्भ किया। जिसका नेतृत्व दुर्गादास राठौड़ ने किया।
✔️ इस संघर्ष में मेवाड़ के शासक राजसिंह के ने भी सहायता की
✔️ जोधपुर के राठौड़ों का यह विद्रोह औरंगजेब की मृत्यु तक चलता रहा।
✔️ 1675 ई. में औरंगजेब ने हिन्दूओं पर पुनः जजीया कर लगाया था जिसे औरंगजेब ने पहले 1564 में अकबर ने हटाया था।
✔️ ज्हांगीर के पुत्र खुसरो ने अपने पिता के विरूद्ध विद्रोह किया। इस खुसरों को सिक्खों के पाँचवें गुरू अर्जुन देव ने आशीर्वाद प्रदान कर आर्थिक सहायता दी थी। इसी बात से नाराज होकर जहांगीर ने अर्जुन देव का वध कर दिया।
✔️ सिक्खों के छटे गुरू हरगोविन्द ने सिक्खों को शस्त्र रखने के लिए कहा। हरगोविन्द ने ही सिक्खों को योद्धा जाति के रूप में बदल दिया था।
✔️ सिक्खों के नव्वे गुरू तेगबहादुर का दिल्ली में चांदनी चोक में औरंगजेब ने वध करवा दिया था। इसी स्थान पर आज गुरूद्धारा शीसगंज बना हुआ है।
✔️ गुरू तेगबहादुर के पुत्र गुरूगोविन्द सिंह सिक्खों के अन्तिम व 10वें गुरू हुए। इन्होंने ही औरंगजेब के समय में सिक्खों के नेतृत्व का विरोध किया था।
✔️ इन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। (Mughal Empire in Hindi)
✔️ इनके दो पुत्र हुए जोरावर सिंह तथा फतेहसिंह दिवार में चुनवा दिया गया तथा इनके दो पुत्र अजीतसिंह और झुझार सिंह यमकोर दुर्ग की रक्षा करते हुए मारे गये।
✔️ 1708 में गोविन्द सिंह दक्षिण भारत नादिर नामक स्थान पर मृत्यु हो गई थी।
✔️ औरंगजेब की पत्नी रबिया-उल-दौरानी का मकबरा दक्षिण भारत में इसी बीबी का मकबरा भी कहते है। यह देखने में ताजमहल जैसा दिखाई देता है। इसलिए इसेे भारत का दूसरा ताजमहल भी कहते है। या दक्षिण का ताजमहल भी कहते है। तथा यह औरगाबाद में स्थित है।
✔️ औरंगजेब ने चित्रकला तथा संगीत कला को किसी प्रकार का सरंक्षण नहीं किया।
✔️ 1707 में दक्षिण भारत में रहते हुए औरंगजेब की मृत्यु हो गई, औरंगजेब को दोलताबाद में शेख जैन उलहक की मजार के पार दफना दिया।
✔️ औरंगजेब को वीणा बजाने में रूचि थी।
History Topic Wise Notes & Question |