बौद्ध धर्म नोट्स (Bauddha Dharma in Hindi): भारतीय इतिहास की इस पोस्ट में बौद्ध धर्म से संबंधित नोट्स एवं महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है जो सभी परीक्षाओं जैसे – UPSC IAS/IPS, SSC, Bank, Railway, RPSC RAS, School Lecturer, 2nd Grade Teacher, RTET/REET, CTET, UPTET, HTET, Police, Patwar एवं अन्य सभी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है baudh dharm in hindi, हीनयान और महायान, bodh dharm ka itihas
बौद्ध धर्म नोट्स | Bauddha Dharma in Hindi
महात्मा गौतम बुद्ध
👉🏻 बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में कपिलवस्तु से 14 मील दूर लुम्बिनी वन में हुआ।
👉🏻 पिता का नाम शुद्धोधन तथा माता का नाम महामाया था।
👉🏻 जन्म के सात दिन बाद ही इनकी माता का देहान्त हो गया। अतः पालन पोषण इनकी मौसी प्रजापति गौतमी द्वारा किया गया। इसलिए गौतम कहलाये।
👉🏻 इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
👉🏻 इनका विवाह यशोधरा से हुआ, तथा इनके पुत्र का नाम राहूल था।
👉🏻 बुद्ध के जीवन पर चार घटनाओं का प्रभाव पड़ा-
i.वृद्ध व्यक्ति
ii.बीमार व्यक्ति,
iii.मृत व्यक्ति
iv.आनन्दमय सन्यासी
👉🏻 29 वर्ष की आयु में घर छोड़कर सन्यासी बन गये। यह घटना महाभिनिष्क्रमण कहलाती है। घोड़े का नाम कांथक तथा सारथी का नाम चन्ना था।
👉🏻 आलारकालाम इनके प्रथम गुरू बने। उपनिषद्, सांख्य दर्शन का ज्ञान बुद्ध ने इन्ही से सीखा था। तत्पश्चात् उद्दक रामपुत्त से योग की शिक्षा ग्रहण की।
👉🏻 उरूवेला में पांच अन्य ब्राहमणों के साथ निरंजना नदी के किनारे तपस्या की। छः वर्ष पश्चात नृत्यकियों का गीत सुनकर मध्यम मार्ग की ओर प्रेरित हुए, व सुजाता के हाथों खीर खाकर ‘‘गया’’ में पीपल वृक्ष के नीचे साधनारत हो गये। यही वृक्ष बौधी वृक्ष कहलाता है।
👉🏻 35 वर्ष की आयु में बैशाख पूर्णिमा की रात को 49 दिनों की कठोर तपस्या के बाद ज्ञान की प्राप्ति हुई।
👉🏻 बुद्धि से ज्ञान प्राप्ति के कारण बुद्ध कहलाये तथा सत्य प्राप्त करने के कारण तथागत कहलाये व साक्यों के गुरू होने के कारण शाक्य मूनि कहलाये।
👉🏻 तपस्सु व मल्लि नामक दो बंजारो को सर्वप्रथम उपदेश दिये। तत्पश्चात् ऋषिपतन (सारनाथ) गये जहां कोण्डिन्य सहित पांचों ब्राहमणों (कोण्डिन्य, आंज, अस्साजि, वप्प, भद्धिय) को उपदेश देकर अपना शिष्य बनाया। यह घटना धर्म चक्र प्रवर्तन कहलाती है।
👉🏻 बुद्ध के प्रथम धर्मोपदेश को बौद्ध साहित्य में ‘धर्मचक्रप्रवर्तन’ कहा जाता है
👉🏻 बुद्ध ने जनसाधारण की भाषा ‘मागधी’ में अपने उपदेश दिए
👉🏻 आनन्द व उपाली उनके प्रधान शिष्य थे
👉🏻 तपस्सू और कलिक बुद्ध के प्रथम शूद्र अनुयायी थे
👉🏻 महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़े 8 स्थान :- लुम्बिनी, गया, सारनाथ, कुशीनगर (कुशीनारा), श्रावस्ती, संकास्य, राजगृह, वैशाली| बौद्ध ग्रंथों में इन्हें ‘अष्टमहास्थान’ के नाम से जाना जाता है
👉🏻 राजगृह में मगध नरेश बिबिसांर ने वेणुवन दान में दिया था। यही सारिपुत्र मौदग्लायन, उपालि शिष्य बने। कपिलवस्तु की यात्रा के दौरान आनन्द शिष्य बना।
👉🏻 लिच्छवियों ने वैशाली में कुटाग्रशाला का निर्माण कराया तथा यही पहली बार आनन्द के कहने पर महिलाओं को संघ में प्रवेश दिया। प्रजापति गौतमी प्रथम व वैशाली नगर वधु आम्रपाली दुसरी शिष्य बनी।
👉🏻 सारनाथ में बौद्ध संघ की स्थापना की। भिक्षु वर्षा काल को छोड़कर अन्य ऋतुओं में बौद्ध धर्म का प्रचार करते। बुद्ध सर्वाधिक वर्षा काल कौशल (21 वर्ष) व्यतीत किया तथा अन्तिम वर्षाकाल वैशाली में व्यतीत किया।
👉🏻 मल्ल की राजधानी पावा में चंद नामक लुहार के घर सुक्रमद्दव खाद्य पदार्थ खाने से रक्तातिसार हो गया तथा 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में इनकी मृत्यू हो गई। बुद्ध की मृत्यू को महापरिनिर्वाण कहते है।
👉🏻 बुद्ध के अवशेषों को आठ भागों में विभाजित किया गया। जिन पर स्तूप बनाये गये।
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बौद्ध धर्म का दर्शन
👉🏻 बौद्ध धर्म ने आत्मा की सत्ता को अस्वीकार कर दिया। इसके अनुसार हम जिस व्यक्ति को देखते है वह पाँच तत्वों से मिलकर बना होता है। बौद्ध धर्म कर्म व पूर्नजन्म में विश्वास करता है।
👉🏻 बौद्ध धर्म में चार आर्य सत्य होते है- 1. दुःख, 2. दुःख समुदाय, 3. दुःख निरोद्ध 4. दुःख निषेद्ध गामिनी प्रतिपदा
👉🏻 दुख का निर्वाण अष्टागिंक मार्ग द्वारा संभव है। इसको तीन भागों में बांटा जाता है-
1.प्रज्ञा – इसमें सम्यक दृष्टि ,सकंल्प , वाक् आतें है।
2.शील – इसमें सम्यक कर्मान्त, व आजीविका आते है।
3.समाधी- इसमें सम्यक व्यायाम , स्मृति, व समाधी आते है।
👉🏻 बौद्ध धर्म के दर्शन को प्रतीत्यसमुत्पाद कहते है। बौद्ध दर्शन अनात्मवादी , अनिश्चयवादी कहलाता है।
👉🏻 बौद्ध दर्शन का प्रमुख सम्प्रदाय शुन्यवाद है। जिसे माध्यमिक वाद भी कहते है। यह महायान शाखा एक भाग माना जाता है। इसका सबसे बड़ा समर्थक नागार्जुन को मानते है।
बौद्ध संगीतियाँ
बौद्ध धर्म की कुल चार संगतियां आयोजित की गई है-
संगीतियाँ | शासक | अध्यक्ष | स्थान | विशेष |
---|---|---|---|---|
प्रथम बौद्ध संगीति 483 ई.पू. | अजात शत्रु | महाकश्यप | सप्तपर्णी गुफा, बिहार (राजगृह) | बुद्ध के उपदेशों को विनय पिटक व सूत पिटक में संकलित किया |
द्वितीय बौद्ध संगीति 383 ई.पू. | कालाशोक | शाबकमीर | चुल्लवग (वैशाली) | इसमें भिक्षुसंघ दो भागों थेरवादी व महासंघिक में विभक्त हो गया |
तृतीय बौद्ध संगीति 250/251 ई.पू. | अशोक | मोग्गलिपुत तिस्स | पाटलीपुत्र | अभिधम्म पिटक की स्थापना एवं संघभेद को समाप्त करने के लिए कठोर नियम बनाए |
चतुर्थ बौद्ध संगीति प्रथम शताब्दी ई. | कनिष्क | अध्यक्ष – वसुमित्र उपाध्यक्ष – अश्वघोष | कुंडलवन, कश्मीर | बौद्ध धर्म हीनयान व महायान में विभक्त |
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बौद्ध दार्शनिक व विद्वान
◆ अश्वघोष – बुद्ध चरित्र की रचना की।
◆ नागार्जुन – शुन्यवाद के प्रतिपादक ।
◆ बुद्धघोष – विशुद्धिमग्ग की रचना की। जिसे त्रिपिटक की कूंजी कहते है।
◆ दिग्गनाम- तर्कशास्त्र के प्रणेता मध्यकालिन न्याय के जनक कहलाते है।
◆ मैत्रैनाथ- विज्ञान वाद के जनक।
◆ धर्मकृति- ज्ञान मीमांसात्मक के प्रणेता। डॉ. स्टेचबातस्की ने इन्हे भारत का कांट कहा है।
बुद्ध के जीवन से जुड़े चार पशु
1.हाथी – बुद्ध के गर्भ में आने का प्रतीक
2.साँड – यौवन का प्रतीक
3.घोडा – गृह त्याग का प्रतीक
4.शेर – समृद्धि का प्रतीक
अन्य प्रतीक :-
1.जन्म – कमल व साँड
2.निर्वाण – बोधिवृक्ष
3.प्रथम उपदेश – धर्मचक्र
4.परिनिर्वाण – स्तूप
👉🏻 बौद्ध धर्म के त्रिरत्न :- बुद्ध, धम्म, संघ
चार आर्य सत्य
1.दु:ख – संसार दुखों का घर है
2.दु:ख समुदाय – दुखों का मूल कारण अज्ञान व तृष्णा है
3.दु:ख निरोध – दुखों का निरोध संभव है तृष्णा व अज्ञान का विनाश ही दु:ख निरोध का मार्ग है
4.दु:ख निरोध मार्ग – तृष्णा का विनाश अष्टांगिक मार्ग द्वारा संभव है इसे दु:ख निरोध गामिनी प्रतिपदा भी कहते है
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बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग
(1) सम्यक दृष्टि – चार आर्य सत्यों की सही परख
(2) सम्यक् संकल्प – भौतिक वस्तु तथा दुर्भावना का त्याग
(3) सम्यक् वचन – सत्य बोलना
(4) सम्यक् कर्म – सत्य कर्म करना
(5) सम्यक् आजीव – ईमानदारी से आजीविका कमाना
(6) सम्यक् व्यायाम – शुद्ध विचार ग्रहण करना
(7) सम्यक् स्मृति – मन, वचन तथा कर्म की प्रत्येक क्रिया के प्रति सचेत रहना
(8) सम्यक् समाधि – चित्त की एकाग्रता
बौद्ध सम्प्रदाय
हीनयान सम्प्रदाय
👉🏻 इसे श्रावकयान भी कहते है
👉🏻 यह परंपरावादियों, जो बौद्ध धर्म के प्राचीन आदर्शों को बिना किसी परिवर्तन के पूर्ववत बनाए रखना चाहते थे, का संघ है
👉🏻 इस सम्प्रदाय के अनुयायियों का क्षण भंगुरता में विश्वास था
👉🏻 हीनयान की दो शाखाएं हो गई थी – वैभाषिक, सौत्रान्तिक
👉🏻 हीनयान में बुद्ध को एक महापुरुष माना गया। हीनयान एक व्यक्तिवादी धर्म था, इसका कहना था की प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रयत्नों से ही मोक्ष प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए
👉🏻 हीनयान मूर्तिपूजा एवं भक्ति में विश्वास नहीं करता
👉🏻 इनके अनुसार निर्वाण के पश्चात पुनर्जन्म नहीं होता
👉🏻 इसका मुख्य आधार सुत्त पिटक है
👉🏻 हीनयान सम्प्रदाय के सभी ग्रंथ पालि भाषा में लिखे गये है
👉🏻 इस मत के मुख्य आचार्य वसुमित्र, बुद्धदेव, घोषक आदि थे
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महायान सम्प्रदाय
👉🏻 महासांधिकों से ही कालांतर में महायान सम्प्रदाय का उदय हुआ इसे बोधिसत्व ज्ञान भी कहते है
👉🏻 यह परिवर्तनवादी विचारधारा का समर्थक है
👉🏻 यह संप्रदाय सेवा व परोपकार पर विशेष बल देता है
👉🏻 इसमें बुद्ध को देवत्व (ईश्वर का अवतार) प्रदान कर मूर्ति पूजा की जाने लगी
👉🏻 यह समाज मानव जाति के कल्याण का समर्थक है
👉🏻 महायानी आत्मा एवं पुनर्जन्म में विश्वास करते है
👉🏻 महायान संप्रदाय का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ ‘प्रज्ञा पारमिता सूत्र’ है
हीनयान व महायान में अंतर
हीनयान | महायान |
---|---|
1 सभी को अपनी मुक्ति का मार्ग स्वयं ढूँढना पड़ता है | यह गुणों के हस्तांतरण में विश्वास रखता है |
2 यह बौद्ध धर्म की एतिहासिक में विश्वास करता है | बोधिसत्व में विश्वास रखता है |
बोधिसत्व पद की प्राप्ति के लिए 9 चर्चाओं तथागत अनुशासनों का पालन बताया है | सभी लोगों को बुद्धत्व की प्राप्ति होने की बात कहीं है |
संसार को दुखमय माना है | आशावादी दृष्टिकोण रखता है |
स्वयं के प्रयत्नों पर बल देता है | बुद्ध के प्रति विश्वास तथा भक्ति पर बल देता है |
बौद्ध का साहित्य पालि भाषा में है | बौद्ध का साहित्य संस्कृत भाषा में है |
बौद्ध साहित्य
बौद्ध साहिय पालि भाषा में लिखा गया है बौद्ध साहित्य में त्रिपिटक महत्वपूर्ण है –
1.सुत्तपिटक (धर्म-सिद्धांत) – बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और बुद्ध के उपदेशों का वर्णन, यह पाँच भागों में विभक्त है – दीर्घ निकाय, मज्झिम निकाय, संयुक्त निकाय, अंगुतर निकाय, खुद्दक निकाय
2.अभिधम्म पिटक (आचार नियम) – बौद्ध धर्म का आध्यात्मिक व दार्शनिक विवेचन, जिसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रंथ ‘कथा वत्थू’ है
3.विनय पिटक – भिक्षु-भिक्षुणीयों के संघ व उनके दैनिक जीवन आचरण संबंधी नियमों का वर्णन| इसके तीन भाग है – विभंग, खंदक, परिवार
4.ललित विस्तार – महायान सम्प्रदाय के इस ग्रंथ में महात्मा बुद्ध के जीवन का उल्लेख मिलता है
5.जातक कथाएं – पालि भाषा में रचित इन कथाओं में बुद्ध के पूर्वजन्म की कथाएं एवं बुद्ध कालीन धार्मिक, सामाजिक तथा आर्थिक जीवन का वर्णन मिलता है
6.महाविभाष – संस्कृत भाषा में वसुमित्र द्वारा रचित बौद्ध ग्रंथ
7.दीपवंश – पालि भाषा में इस ग्रंथ की रचना श्रीलंका में की गई
8.महावंश – 5 वीं सदी में श्रीलंका में रचित इस ग्रंथ का लेखक महानाम था
9.दिव्यावदान – बौद्धसाहित्य के इस ग्रंथ में परवर्ती मौर्य शासकों एवं शुंगवंशी पुष्यमित्र शुंग का उल्लेख मिलता है
10.धम्मपद – इसे बौद्ध धर्म की गीता कहते है
👉🏻 बुद्ध के पंचशील सिद्धांत का वर्णन छान्दोग्य उपनिषद में मिलता है
👉🏻 बुद्ध के अस्थि अवशेषों पर भट्टी (दक्षिण भारत) में निर्मित प्राचीनतम स्तूप को महास्तूप की संज्ञा दि गई है
History Topic Wise Notes & Question |
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