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इंटरनेट (Internet)

Internet: इस पोस्ट में इंटरनेट, इंटरनेट के लाभ (Benefits of internet), इंटरनेट की हानियाँ (Internet losses), इंटरनेट कनेक्शन (Internet connection), इंटरनेट कनेक्टिंग प्रोटोकोल (Internet connecting protocol) आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है |

इंटरनेट (Internet)

– इसका पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क है जिसे 1950 में विंट कर्फ़ ने शुरू किया।

इंटरनेट के लाभ :-

(1) दूसरे व्यक्तियों से आसानी से संपर्क बनाने की अनुमति देता है।

(2) इसके माध्यम से दुनिया में कहीं भी किसी से भी संपर्क बनाया जा सकता है।

(3) इंटरनेट पर डॉक्यूमेंट को प्रकाशित करने पर पेपर आदि की बचत होती है।

इंटरनेट की हानियां :-

(1) कंप्यूटर में वायरस के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी है।
(2) इंटरनेट पर भेजे गए संदेशों को आसानी से चुराया जा सकता है।
(3) साइबर धोखेबाज क्रेडिट/डेबिट कार्ड की समस्त जानकारी चुराकर उसे गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।

इंटरनेट कनेक्शन :-

1. डायल-अप कनेक्शन :- डायल-अप टेलीफोन लाइन की सहायता से इंटरनेट से जुड़ने का एक माध्यम है।

– जब भी उपयोगकर्ता डायल-अप कनेक्शन को चलाता है तो पहले मॉडम इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का फोन नंबर डायल करता है।

2. ब्रॉडबैंड कनेक्शन :- ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल हाई स्पीड इंटरनेट एक्सेस के लिए सामान्य रूप से होता है। यह इंटरनेट से जुड़ने के लिए टेलीफोन लाइनों का प्रयोग करता है।

3. वायरलेस कनेक्शन :- वायरलेस ब्रॉडबैंड ग्राहक के स्थान और सर्विस  प्रोवाइडर के बीच रेडियो लिंक का प्रयोग कर घर या व्यापार इत्यादि को इंटरनेट से जोड़ता है।

4. वायरलेस फिडेलिटी (wifi) :-  वाई-फाई केबल या तारों के बिना ही उच्च गति से इंटरनेट प्रदान करती है।

इंटरनेट कनेक्टिंग प्रोटोकोल :-

1. TCP/IP :- (Transmission Control Protocol / Internet Protocol) TCP/IP end to end कनैक्टिविटी प्रदान करता है। इस प्रोटोकॉल के मुख्य रूप से दो भाग हैं।

(1) TCP        (2) IP

2. फ़ाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (FTP) :-  उपयोगकर्ता अपने कंप्यूटरों से फाइलों को विभिन्न वेबसाइटों पर अपलोड कर सकते हैं या वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।

3. हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (HTTP) :- इसके द्वारा संदेशों को किसी प्रकार फॉर्मेट व संचारित किया जाता है।

– HTTP एक स्टेटलेस प्रोटोकॉल है, क्योंकि इसमें प्रत्येक निर्देश होकर क्रियान्वित होते हैं।

4. हाईपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (HTML) :-  इसका प्रयोग वैबपेजों के डिजाइन बनाने में इस्तेमाल होता है।

5. टेलनेट प्रोटोकॉल :-  यह एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जिसमें वर्चुअल कनेक्शन का इस्तेमाल करके द्विदिशीय टेक्स्ट ओरिएंटड कम्युनिकेशन को लोकल एरिया नेटवर्क पर प्रदान किया जाता है।

6. यूज़नेट प्रोटोकॉल :-  इसके तहत इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का एक समूह भी विशेष विषय पर अपने विचार/सलाह का आपस में आदान-प्रदान कर सकते हैं।

इंटरनेट संबंधी जानकारी :-

1. वर्ल्ड वाइड वेब (www):- www विशेष रूप से स्वरूपित डॉक्यूमेंट का समर्थन करने वाले इंटरनेट की एक प्रणाली है।
– यह 13 मार्च 1989 को पेश किया गया था।
– डॉक्यूमेंटस मार्कअप लैंग्वेज (HTML) में फॉर्मेटिड होते हैं।

2. वैबपेज :-  बहुत सारे डॉक्यूमेंटों या वैबपेजों का संग्रह है।
– ये डॉक्यूमेंट HTML में लिखे जाते हैं तथा वेब ब्राउजर द्वारा प्रदर्शित किए जाते है।

3. वेबसाइट :- वेबसाइट वेब पेजों का संग्रह होता है जिसमें सभी वेब पेज एक – दूसरे से जुड़े होते हैं।  किसी भी वेबसाइट का पहला पेज होमपेज कहलाता है।

4. वेब ब्राउजर :- वेब ब्राउजर एक एप्लीकेशन है जिसका प्रयोग www कन्टेन्ट को ढूंढने व प्रदर्शित करने में होता है।

–  यह दो प्रकार के होते हैं –

(1) टेक्स्ट वेब ब्राउज़र – Lynx
(2) ग्राफिकल वेब ब्राउज़र – Firefox, Chrome, Internet Explorer

5. वेब एड्रेस :- वेब एड्रेस को URL (Uniform Resource Locater) भी कहते हैं। URL इंटरनेट से जुड़े होस्ट कंप्यूटर पर फाइलों के इंटरनेट एड्रेस को दर्शाते हैं जैसे –

“http://www.google.com/service/index.html”
Http – प्रोटोकॉल आइडेन्टिफायर
www – वर्ल्ड वाइड वेब
google.com – डोमेन नेम
/service/ – डायरेक्ट्री
Index.html – वेब पेज

6. सर्च इंजन :- सर्च इंजन इंटरनेट पर किसी भी विषय के बारे में संबंधित जानकारियों के लिए प्रयोग होता है

Google – http://www.google.com

Yahoo – http://www.yahoo.com

Computer Topic Wise Notes

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